इस बार के सम्पन्न होने वाले विधानसभा चुनाव सहित लोगसभा चुनाव में पूर्व से प्रचलित शराबखोरी इस बार नहीं हो पायेगी और चुनाव के समय शराब परोसने वालों तथा शराब लाने वालों पर सुरक्षा तंत्र की पैनी नजर रहेंगी और ऐसा करना आसान नहीं होगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार चुनाव आयोग इस संबंध में निरापत तरीके से चुनाव कराने के लिए संकल्पित है और इसके लिए समूचे बस्तर में ठोस कार्यवाही शुरू हो गई हैं। उल्लेखनीय है कि बस्तर आईजी का मानना है कि बस्तर की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यह महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्रप्रदेश सहित तेंलगाना राज्यों से सीमा बनाता है और इन राज्यों से चुनाव के समय बड़ी मात्रा में शराब परोसी जा सकती है।
इस स्थिति से निपटने के लिए पुलिस अपनी तैयारियां कर रही है और उन क्षेत्रों को चिन्हाकिंत कर लिया गया है जहां से शराब की तस्करी की जा सकती है। वैसे बस्तर में ग्रामीण अपनी जरूरत के अनुसार शराब बनाकर सेवन कर सकते है लेकिन सामान्य तौर पर अवैध शराब चुनाव के समय बांटे जाने की संभावना भी बहुत अधिक रहती है। इसके लिए तस्कर पड़ोसी राज्यों से भारी मात्रा में शराब बुला कर यहां वितरित कर सकते हैं। प्रदेश में वर्तमान में शराब बिक्री का कार्य शासन ने स्वयं सभाला हुआ है। इसलिए यहां से शराब गांव में मतदाताओं को अवैध रूप से नहीं बांटी जा सकती हैंं। इस स्थिति में पड़ोसी राज्यों से शराब की तस्करी कर यहां लाई जा सकती है। इसकी रोकथाम के लिए पुलिस अपनी ओर से तैयारियां कर रही है।