मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि आरक्षण को लेकर भाजपा और राजभवन के बीच राजनीति चल रही है, जो छत्तीसगढ़ के साथ छलावा है। छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग के हित में नहीं है। भाजपा नेताओं ने पहले आरक्षण मुद्दे पर मार्च पास्ट किया। लेकिन अब चुप क्यों हैं। राज्यपाल को अधिकार नहीं है फिर भी वो पत्र लिख रही है और जो काम करना चाहिए वह नहीं कर रही है।
बिलासपुर जिले के बिल्हा में गुरु घासीदास जयंती समारोह में आए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सैकड़ों-हजारों पद स्वीकृत है और भर्तियां होनी है। लेकिन राज्यपाल बिल को लेकर बैठीं हैं। न तो वे बिल को वापस कर रही हैं और न ही हस्ताक्षर कर रही हैं। यह छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग के बहुत नुकसानदायक है।
सीएम बोले- राज्यपाल को पत्र लिखने का अधिकार नहीं
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राज्यपाल को जो अधिकार नहीं है वह काम कर रही हैं और पत्र लिख रही हैं। लेकिन, उन्हें जो काम करना है वो नहीं कर रही हैं। राज्यपाल बिल में हस्ताक्षर कर तत्काल वापस हमारे पास भेजे। ताकि, आरक्षण बिल लागू हो सके।
बिल्हा में गुरु घासीदास जयंती समारोह में शामिल हुए सीएम बघेल।
मार्च पास्ट के बाद चुप क्यों है भाजपा
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आरक्षण को लेकर भाजपा ने पहले राजभवन तक मार्च पास्ट किया। लेकिन, विधानसभा में बिल पास होने के बाद पार्टी के नेता चुप क्यों बैठ गए हैं। अब उन्हें राज्यपाल के पास बिल में हस्ताक्षर कराने के लिए भी जाना चाहिए।
छत्तीसगढ़ ही नहीं राज्य सरकार की उपेक्षा कर रही है रेलवे
वंदेभारत ट्रेन के शुभारंभ अवसर पर बिलासपुर स्टेशन में छत्तीसगढ़ के राजगीत का अपमान करने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दोहराते हुए कहा कि रेलवे ने अपने कार्ड में नाम छापना तो दूर, हमें निमंत्रण तक नहीं दिया है। रेलवे के अधिकारी छत्तीसगढ़ की उपेक्षा तो कर रहे हैं। इसके साथ ही राज्य सरकार की भी उपेक्षा कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा अनुसूचित जाति को जनसंख्या के अनुरूप दिया गया है आरक्षण।
सतनामी समाज से कहा- जनसंख्या के अनुरूप दिया गया है आरक्षण
इस समारोह में मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि विधानसभा में पारित नए विधेयक में अनुसूचित जाति वर्ग को उनकी जनसंख्या के अनुरूप 13 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। वर्ष 2011 की जनसंख्या में राज्य में 12.82 प्रतिशत अनुसूचित जातियों की जनसंख्या रिकॉर्ड की गई है। यदि 2021 की जनगणना हो जाए और आंकड़े आएंगे तो उनकी जितनी जनसंख्या होगी, उनके अनुरूप आरक्षण प्रतिशत में सुधार किया जाएगा।
संविधान में एससी एवं एसटी वर्ग को उनकी जनसंख्या के अनुरूप आरक्षण दिये जाने का प्रावधान किया गया है। अनुसूचित जाति वर्ग के लोग यदि सहमत हों तो ओबीसी के लिए राज्य में बनाए गए पटेल आयोग की तरह एससी के हेडकाउंट के लिए भी आयोग बनाया जा सकता है। राज्य सरकार एससी,एसटी, ओबीसी वर्ग को उनके अधिकार दिलाने के लिए वचनबद्ध है।
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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 6 दिन पहले आरोप लगाया था कि राज्यपाल इस विधेयक पर हस्ताक्षर को तैयार थीं। भाजपा के नेता उनपर ऐसा नहीं करने का दबाव बना रहे हैं। इधर राजभवन ने शुरुआती समीक्षा के बाद विधेयक को फिर से विचार करने के लिए सरकार को लौटाने की तैयारी कर ली है।
रायपुर हेलीपैड पर पत्रकारों से चर्चा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था, जो राज्यपाल यह कहे कि मैं तुरंत हस्ताक्षर करुंगी, अब वह किंतु-परंतु लगा रही हैं। इसका मतलब यह है कि वह तो चाहती थीं, भोली महिला हैं। आदिवासी महिला है और निस्छल भी है। लेकिन जो भाजपा के लोग हैं जो दबाव बनाकर रखें हैं उस कारण से उनको किंतु-परंतु करना पड़ा कि मैं तो सिर्फ आदिवासी के लिए बोली थी। आरक्षण का बिल एक वर्ग के लिए नहीं होता, यह सभी वर्गों के लिए होता है। यह प्रावधान है जो भारत सरकार ने किया है, जो संविधान में है। मैंने अधिकारियों से बात की थी कि इसको अलग-अलग ला सकते हैं। उन्होंने कहा नहीं, यह तो एक ही साथ आएगा। उसके बाद बिल प्रस्तुत हुआ। अब क्यों हिला-हवाली हो रही है। मुख्यमंत्री ने दो टूक शब्दों में कह दिया कि विधानसभा से सर्व सम्मति से एक्ट पारित हुआ है तो राजभवन में रोका नहीं जाना चाहिए। तत्काल इसको दिया जाना चाहिए।
भाजपा को बताया विधेयक लटकने का जिम्मेदार
मुख्यमंत्री ने विधेयक के राजभवन में अटक जाने के लिए भाजपा को जिम्मेदार बताया था। उन्होंने कहा, भाजपा ने प्रदेश के लोगों का मजाक बनाकर रख दिया है। राज्यपाल जब तक विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं करेंगी। जब तक वह हमें वापस नहीं मिलेगा हम काम कैसे करेंगे। इनके कई मुंह हैं। एक ने कहा, 70 दिन तक क्या करते रहे। दूसरा बोलता है कि इतनी जल्दी लाने की क्या जरूरत है। विधानसभा में आप धरमलाल कौशिक का, नेता प्रतिपक्ष का, डॉ. रमन सिंह का भाषण निकालकर देख लीजिए। अभी फिर वे उसी प्रकार की भाषा शुरू कर दिए हैं।
OBC आरक्षण पर हिचक रहीं हैं राज्यपाल
राज्यपाल अनुसूईया उइके अन्य पिछड़ा वर्ग-OBC वर्ग को दिये गये 27% आरक्षण की वजह से आरक्षण विधेयकों पर हस्ताक्षर करने से हिचक रही हैं। राज्यपाल ने शनिवार को मीडिया से बातचीत में कहा था, मैंने केवल आदिवासी वर्ग का आरक्षण बढ़ाने के लिए सरकार को विशेष सत्र बुलाने का सुझाव दिया था। उन्होंने सबका बढ़ा दिया। अब जब कोर्ट ने 58% आरक्षण को अवैधानिक कह दिया है तो 76% आरक्षण का बचाव कैसे करेगी सरकार।
धमतरी पहुंची राज्यपाल अनुसूईया उइके ने रेस्ट हाउस में मीडिया से बात की। आरक्षण विधेयक को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, हाईकोर्ट ने 2012 के विधेयक में 58% आरक्षण के प्रावधान को अवैधानिक कर दिया था। इससे प्रदेश में असंतोष का वातावरण था। आदिवासियों का आरक्षण 32% से घटकर 20% पर आ गया। सर्व आदिवासी समाज ने पूरे प्रदेश में जन आंदोलन शुरू कर दिया। सामाजिक संगठनों, राजनीतिक दलों ने आवेदन दिया। तब मैंने सीएम साहब को एक पत्र लिखा था। मैं व्यक्तिगत तौर पर भी जानकारी ले रही थी। मैंने केवल जनजातीय समाज के लिए ही सत्र बुलाने की मांग की थी।