किरंदुल से चलने वाली विशाखापट्टनम तक जाने वाली रेल लाईन पर रात के अंधेरे में इसकी सुरक्षा के लिये कोई उपाय नहीं किया जाता है और रात को विशेष रूप से किरंदुल से जगदलपुर आने वाली लाईन पर कोई सुरक्षा मूलक व्यवस्था न होने से नक्सली इधर पड़ने वाली रेल लाईन को अपना निशाना बनाकर रेल्वे को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। जानकारी के अनुसार नक्सलियों ने गत बीस वर्षाे से अधिक समय से इस रेल लाईन पर अभी तक 100 से अधिक घटनाओं को परिणित कर रेल्वे को अरबों रूपयों का चूना लगाया है। इनमें से 90 फीसदी घटनाएं डिरेल से संबंधित थी। इन सभी घटनाओं में विशेष तथ्य यह था कि ये सभी घटनाएं रात के अंधेरे में घटित हुई और नक्सलियों ने अपनी योजना के अनुसार अधिक से अधिक रेल्वे को चूना लगाकर क्षेत्र में आतंक फैलाने का कार्य किया।
उल्लेखनीय है कि इस रेल लाईन में मालगाड़ियों को ही सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया गया तथा यात्री गाड़ियों को भी निशाना बनाया गया। रात को होने वाली इन घटनाओं के संबंध में जब रेल्वे से पूछा गया तो रेल्वे के सूत्रों ने बताया कि रेलवे के पास रात में पटरियों की जांच की कोई व्यवस्था ही नहीं है। रेलवे सिर्फ दिन में ही पटरियों की जांच करता है। इसके लिए हर दिन हर स्टेशन से पीडब्लूआई (परमानेंट वे इंस्पेक्टर) की ड्यूटी लगती है। पीडब्ल्यूआई एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक पटरियों का निरीक्षण करता है और आकर रिपोर्ट देता है।
इसके अलावा गैंगमेन व रेलवे के अन्य कर्मचारी भी पटरियों पर काम करते हुए नजर रखते हैं लेकिन यह पूरी प्रक्रिया दिन में ही चलती है रात में पटरियों पर चलने वाली मालगाड़ियों हो या सवारी गाड़ी उन सबकी सुरक्षा केवल यात्रियों की भगवान को याद करते हुए होती है। मालगाड़ियों में चलने वाले कर्मचारी केवल सांस रोककर ही इस रेल लाईन पर चलते हैं और आशंकित रहते हैं कि कब कौन सी दुर्घटना उनके साथ हो जाये। इस स्थिति में रेल्वे को जगदलपुर तक आने वाली रेल लाईन पर रात्रि को भी सुरक्षा की व्यवस्था करना अतिआवश्यक रूप से करना होगा। अन्यथा नक्सली बार-बार अपना कार्य कर भागते रहेंगे।