जगदलपुर.कोंटा से 20 किमी घने जंगलों में पहाड़ों के बीच नुलकातोंग के आगे पहाड़ों के बीच नक्सलियों ने अपना कैंप बना रखा था। इस कैंप में रहकर नक्सली इलाके में अपनी गतिविधियां चला रहे थे। जिस स्थान पर नक्सलियों ने कैंप बना रखा था वह स्थान कई पहाड़ी नालों से घिरा हुआ है। नक्सलियों को यकीन था कि जवान पहाड़ी नाला पार कर उन तक नहीं पहुंच पाएंगे लेकिन पिछले कुछ दिनों से इलाके में बारिश नहीं हुई थी, ऐसे में नाले पार कर फोर्स के लिए बड़ी चुनौती नहीं थी।
सोमवार की सुबह सुकमा एसपी अभिषेक मीणा को इनपुट मिला कि नक्सली नुलकातोंग के निकट कैंप चला रहे हैं। इस कैंप में नक्सलियों ने कुछ स्थानीय ग्रामीणों को भी बुलाया था। इसके अलावा कुछ नए लड़ाकों को ट्रेनिंग देने की भी यहां तैयारी की गई थी। इसी इलाके में कोंटा और भेज्जी से डीआरजी की दो टीमों को 4 अगस्त से ऑपरेशन के लिए उतारा गया था। एसपी ने इन्हीं टीमों को मौके पर दबिश देने के लिए भेजा। इसके बाद जवान जब मौके पर पहुंचे तो पहला फायर नक्सलियों की ओर से ही हो गया। इसके बाद जवाबी कार्रवाई में एक के बाद एक 15 नक्सली ढेर हो गए। नक्सलियों के कैंप से जवानों ने बड़ी मात्रा में आईईडी बनाने का सामान बरामद किया है। ऐसा माना जा रहा है कि यहां नक्सली स्थानीय ग्रामीणों को आईईडी बनाने, इसे फिट करने और इसके जरिए विस्फोट करने की ट्रेनिंग देने वाले थे। बस्तर आईजी विवेकानंद सिन्हा ने बताया कि मौके से बड़ी मात्रा में आईईडी बनाने का सामान बरामद हुआ है।
तीन इलाके के जनमिलिशिया जुटे थे: डीजी डीएम अवस्थी और आईजी विवेकांनद सिन्हा ने बताया कि यहां बालातोंग, गोमपाड़, मिनपा के जनमिलिशिया सदस्य जुटे थे। ऐसा माना जा रहा है कि इन्हें यहां बड़ी वारदात से पहले ट्रेनिंग देने के लिए बुलाया गया हो। हालांकि, पुलिस अफसर अभी यह स्पष्ट नहीं कर रहे हैं कि यहां बड़ी संख्या में मिलिशिया क्यों जमा हुए थे।
बटालियन-1 का सदस्य है देवा, घायल नक्सली का करवाया इलाज:इधर, एनकाउंटर के बीच डीआरजी जवानों ने दो नक्सलियों को जिंदा पकड़ने में सफलता हासिल की है। डीजी डीएम अवस्थी के अनुसार गिरफ्तार नक्सली देवा बटालियन नंबर-1 का सदस्य रहा है। वह बड़े नक्सली लीडर माने जाने वाले हिड़मा के साथ काम करता था। जवानों ने मौके से एक महिला नक्सली जिसके पैर में गोली लगी है उसे भी पकड़ा है। एनकाउंटर के बाद जवानों ने जिंदा पकड़े गए दोनों नक्सलियों के प्रति मानवता दिखाई है। घायल महिला नक्सली का मौके पर ही प्राथमिक उपचार किया गया। इसके बाद उसे कोंटा लाया गया। यहां उसके खाने-पीने का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। इसके अलावा कैंप में ही देवा की पहचान हो जाने के बावजूद जवानों ने उसे गोली नहीं मारी। उसे जिंदा ही जिला मुख्यालय लाया जा रहा है।
शव लेकर ही लौटते हैं क्योंकि एनकांउटर के बाद घटनास्थल नहीं छोड़ते जवान:बस्तर के जंगलों में पिछले डेढ़ दशक से नक्सलियों और सुरक्षा बलों के जवानों के बीच मुठभेड़ चल रही है। मुठभेड़ के बाद नक्सलियों की कोशिश रहती है कि गोलाबारी में यदि उनका कोई साथी मारा गया है या घायल हुआ है तो घायल या मारा गया साथी और उसके हथियार पुलिस के हाथ नहीं लगे। कुछ सालों पहले तक हर मुठभेड़ के बाद नक्सली अपने साथियों के शव व हथियार साथ ले जाते थे। तब पुलिस मौके पर मौजूद खून के धब्बों को देखकर अंदाजा लगाती थी कि एनकाउंटर में कितने नक्सली मारे गए होंगे लेकिन हाल के वर्षों में जब से डीआरजी को जंगलों में उतारा गया है तब से हर मुठभेड़ के बाद जवान शव लेकर आते ही हैं। पिछले डेढ़ साल में जवानों ने करीब 150 से ज्यादा मारे गए नक्सलियों के शव बरामद किए हैं। शवों के बरामद होने के पीछे बड़ी वजह यह है कि अभी जवान नक्सलियों को न सिर्फ घेर रहे हैं बल्कि एनकाउंटर के बाद घटना स्थल को नहीं छोड़ रहे हैं। इसके अलावा बैकअप पार्टियों को भी आसपास के जंगलों में तैनात किया जा रहा है। घटनास्थल पर डटे रहने की वजह और मुठभेड़ में केज्युअल्टी के बढ़ने और बैकअप पार्टियों के आसपास रहने से नक्सली साथियों के शवों को उठाकर ले जाने का रिस्क नहीं ले रहे हैं। यही कारण है कि यदि किसी भी एनकाउंटर में दो से ज्यादा नक्सली ढेर हो रहे हैं तो वहां नक्सली अपने साथियों के शव को छोड़कर जा रहे हैं।