Premium Liquor from Bastar Mahua: कंपनी की टीम बीते एक सप्ताह से बस्तर में है। कंपनी से तीन लोग आए हुए हैं। उनके अनुसार पहली खेप जो वे यहां से लेकर गए थे उससे तो शराब बन चुकी है अब वे महुए की विविधता और उससे सामने आने वाले नतीजे पर काम कर रहे हैं। कंपनी की टीम बस्तर संभाग के गांव-गांव में घूम रही है और महुए के सैंपल ले रही है। सभी सैंपल टीम फ्रांस लेकर जाएगी और वहां पर सभी तरह के जांच और प्रयोग के बाद इस पायलट प्रोजेक्ट को रनिंग प्रोजेक्ट में तब्दील कर दिया जाएगा।
Premium Liquor from Bastar Mahua: जगदलपुर. बस्तर में महुए की शराब यहां की संस्कृति का हिस्सा है। खुशी का मौका हो या फिर शोक। बस्तर के आदिवासियों के हर कार्यक्रम में (Mahua Alcohal) महुए की शराब अनिवार्य रूप से परोसी जाती है। अब इसी महुए को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल गई है। (France) फ्रांस की एक वाइन कंपनी ने करीब एक साल पहले यहां के महुए पर काम करना शुरू किया और अब ‘माह’ नाम के ब्रांड के साथ बस्तर के महुए के फूल से बनी शराब लांच कर दी है। ऐसा पहली बार हो रहा है जब बस्तर के महुए की (International Marketing) इंटरनेशनल मार्केटिंग हो रही है। कंपनी ने बकायदा इसी ब्रांड के लिए एक (Website) वेबसाइट भी बना दी है जिसके जरिए पूरी दुनिया में कोई भी व्यक्ति इस शराब को ऑर्डर कर सकता है।
फिलहाल यह एक पायलट प्रोजेक्ट (Pilot Project) है लेकिन बताया जा रहा है कि महुए की शराब का टेस्ट लोगों को पसंद आ रहा है और धीरे-धीरे इसकी डिमांड बढ़ती जा रही है। कंपनी की वेबसाइट पर इसकी कीमत 44 यूरो (Euro) दिखाई जा रही है जो भारतीय रुपए में 3719 रुपए में उपलब्ध है। कंपनी इसे एक बेहद आकर्षक व्हाइट बॉटल में पैक करके लोगों के बीच लेकर आई है। कंपनी विदेशी है लेकिन इसकी पैकेजिंग में पहली धार जैसे शब्द का उपयोग कर इंडियन कस्टमर को रिझाने का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही इसकी टैग लाइन स्प्रिट ऑफ दी फॉरेस्ट रखी गई है।
गांव-गांव में घूम रही है फ्रांस से आई टीम
कंपनी की टीम बीते एक सप्ताह से बस्तर में है। कंपनी से तीन लोग आए हुए हैं। उनके अनुसार पहली खेप जो वे यहां से लेकर गए थे उससे तो शराब बन चुकी है अब वे महुए की विविधता और उससे सामने आने वाले नतीजे पर काम कर रहे हैं। कंपनी की टीम बस्तर संभाग के गांव-गांव में घूम रही है और महुए के सैंपल ले रही है। सभी सैंपल टीम फ्रांस लेकर जाएगी और वहां पर सभी तरह के जांच और प्रयोग के बाद इस पायलट प्रोजेक्ट को रनिंग प्रोजेक्ट में तब्दील कर दिया जाएगा।
प्रोसेसिंग की टेक्निक बदलकर महुए को बना दिया प्रीमियम
बस्तर में जितना महुआ हर साल वनवासी इकट्ठा करते हैं, उसका आधे से ज्यादा उपयोग बस्तर में ही होता है। यहां से महुए के निर्यात की स्थिति अब तक नहीं बनी है। पहली बार ऐसा हो रहा है और माह नामक फ्रांस की कंपनी ने इसकी प्रोसेसिंग की पूरी टेक्निक को बदलकर रख दिया। आदिवासी जिस तरह से शराब बनाते हैं उसके विपरीत कंपनी काम कर रही है। प्रोफेशनल तरीके से शराब तैयार की जा रही है। महुए की लोकल शराब को कंपनी ने प्रीमियम में तब्दील कर दिया है।
महुआ बस्तर में आय का प्रमुख साधन, कंपनी कह रही- हम मदद करेंगे
बस्तर में आजीविका का प्रमुख साधन महुआ है। हर साल बड़े पैमाने पर ग्रामीण वनों में महुए का संग्रहण करते हैं और उसे बेचकर अपनी आजीविका चलाते हैं लेकिन उन्हें महुए की वो कीमत नहीं मिलती जिसके वे हकदार हैं। मेहनत के अनुपात में मुनाफा कम ही होता है। अब माह जैसे ब्राड की लांचिंग की वजह से महुए से आदिवासियों की किस्मत बदलने के दावे किए जा रहे हैं। कंपनी ने अपनी वेबसाइट और बॉटल पर भी लिखा है कि वे वनवासियों की मदद इस ब्रांड के जरिए करना चाहते हैं और भारत की सबसे प्राचीन शराब को वैश्विक स्तर पर हर किसी की पहुंच में लाना चाहते हैं।
फ्रांस के तीन लोग मेरे पास आए थे। उन्होंने बस्तर के महुआ की एक खास ब्रांड की शराब बनाई है। उन्होंने बताया कि वे यहां के महुआ से बनी शराब को एक ब्रांड के रूप में स्थापित करना चाहते हैं। इसलिए बस्तर में संभावनाएं टटोल रहे है।