नई दिल्ली : केंद्रीय कैबिनेट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचारों की रोकथाम) कानून के
मूल प्रावधानों को बहाल करने संबंधी विधेयक के प्रस्ताव बुधवार को मंजूरी दी।
दलित संगठनों की यह एक प्रमुख मांग है और उन्होंने इस सिलसिले में नौ अगस्त को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है।
सरकार के एक सूत्र ने बताया कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित (अत्याचार रोकथाम) कानून के
मूल प्रावधानों को बहाल करने वाला विधेयक संसद में लाया जाएगा।
केंद्रीय कैबिनेट के फैसले से थमेगा आंदोलन
उच्चतम न्यायालय ने मार्च में अपने फैसले में संरक्षण के उपाय जोड़े थे
जिनके बारे में दलित नेताओं और संगठनों का कहना था कि इस ने कानून को कमजोर और शक्तिहीन बना दिया है।
भाजपा के सहयोगी और लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष राम विलास पासवान ने
न्यायालय का आदेश पलटने के लिए एक नया कानून लाने की मांग की थी।
सत्तारूढ़ पार्टी के संबंध रखने वाले कई दलित सांसदों और आदिवासी समुदायों ने भी मांग का समर्थन किया था।
इससे पहले लोक जनशक्ति पार्टी से जुड़ी दलित सेना ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से
अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण कानून के कमजोर होने का हवाला देते हुए
सरकार से इसमें सुधार के लिए जल्द से जल्द अध्यादेश जारी करने की मांग की थी
और कहा था कि ऐसा नहीं किये जाने पर वह 9 अगस्त से आन्दोलन शुरू करेगी।
दोनों नेताओं ने कहा था कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति कानून के कुछ प्रावधानों को लेकर उच्चतम न्यायालय ने 20 मार्च को एक फैसला दिया था जिससे यह कानून कमजोर हुआ है।
इससे दलित समुदाय में आक्रोश है।
उन्होंने कहा कि इस फैसले को देने में शामिल एक न्यायाधीश को राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण का अध्यक्ष बना दिया गया है
जिससे लोगों में और आक्रोश बढ़ गया है दबाव है।