सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन उपस्थिति के लिए की गई टैबलेट की व्यवस्था शिक्षकों, खासकर महिलाओं के लिए शर्मिंदगी का विषय बन चुकी है। बॉयोमेट्रिक उपस्थिति देने के लिए जैसे ही टैबलेट पर अंगूठा लगाया जाता है, अश्लील साइट्स और तस्वीरें खुल जाती है, जिसके बाद असहजता स्वाभाविक है। शिकायत के बाद तत्काल सभी टैबलेट्स वापस बुलवाए जा रहे हैं। मामले के बारे में जानकारी मिलते ही प्रशासन के कान खड़े हो चुके हैं।
हालांकि, यह भी पता चला है कि यह समस्या पिछले 15-20 दिनों से आ रही थी, लेकिन मीडिया ने जब इस पर सवाल उठाया तो ऑफलाइन और मैनुअल उपस्थिति की व्यवस्था करवाई गई। नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर शहर और आसपास इलाकों के स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों ने बताया कि इस सत्र के पहले दिन से ही यह समस्या थी, लेकिन संकोच के चलते कोई शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। इस बीच चूंकि यह रोज की प्रक्रिया थी, लिहाजा हिम्मत जुटाकर सोमवार को इस बारे में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के कान में बात डाली गई है. इसके बाद आनन-फानन में आदेश जारी कर दिया गया और सभी टैबलेट वापस मंगवाए जाने निर्देश जारी किया गया है
चिप्स के स्थानीय जिम्मेदारों को जब इस बारे में बताया गया तो उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिए। इस संबंध में सीआरसी जगदलपुर वरुण मिश्रा ने बताया कि खबर मिलने के बाद तत्काल चिप्स के डिस्ट्रिक्ट कोऑरडीनेटर मुकेश जैन को इस बारे में बताया गया। जब उन्हें यह पता चला कि समस्या राज्य स्तर से दूर हो पाएगी तब स्कूलों से टैबलेट वापस मंगवाए जाने के आदेश जारी किए गए. इसके साथ ही राज्य स्तर के अधिकारियों को भी इस समस्या से अवगत करवाया गया है। जब तक सुधार नहीं हो जाता तब तक स्कूलों के प्रभारी ऑफलाइन अटेंडेंस लेंगे। इधर चिप्स के सीएचसी डीसी कोऑरडीनेटर ऋषिकेश यदु ने बताया कि सुधार से संबंधित काम उनकी संस्था नहीं करेगी। जिस संस्था को ठेका दिया गया था, वे ही इस काम को देखेंगे।
शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिले की 1526 प्राइमरी, 638 मिडिल और 174 हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों में ऑनलाइन हाजिरी की व्यवस्था करने के शासन के निर्देश थे। लक्षित स्कूलों में से 99 प्रतिशत में टैबलेट वितरित किए जा चुके हैं और इन सभी स्कूलों में नए सत्र से बॉयोमेट्रिक अटेंडेंस की प्रक्रिया प्रारंभ भी हो चुकी है। इसके मायने यह कि जिले के 99 प्रतिशत स्कूलों के शिक्षक पिछले 15-20 दिनों से अटेंडेंस देने के दौरान विपरीत परिस्थितियों का सामना करते शर्मिंदा होने के लिए मजबूर थे।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक पिछले लंबे समय से यह समस्या पूरे राज्य में है. इसके बाद भी संकोच के चलते किसी भी जिले के शिक्षक ने शिकायत नहीं की थी। दुर्ग जिले के प्राचार्यों ने इस बाबत् एक बैठक आयोजित की और डीईओ से शिकायत की, जिसके बाद दुर्ग के डीईओ ने एक आदेश जारी कर तत्काल बॉयोमेट्रिक अटेंडेंस पर रोक लगा दी और आगामी आदेश तक संस्था प्रभारियों को मैनुअल अटेंडेंस की प्रक्रिया अपनाने आदेशित किया. इस खबर के फूटने के बाद ही बस्तर के शिक्षकों ने भी शिकायत करने की हिम्मत जुटाई, जिसके बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ।