टेलीकम्यूनिकेशंस सेक्टर देश के विकास की रीढ़ है, लेकिन इस सेक्टर से जुड़े सदियों पुराने कानून रीढ़ हड्डी में दर्द के समान हैं, जो आगे बढ़ने में बाधा बन रहे हैं. भारत सरकार अब पुराने कानूनों में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है. सरकार चाहती है कि कंपनियां को एक-दूसरे में मर्ज होने, विस्तार करने और बिजनेस चलाने में नौकरशाही से ढेरों अप्रूवल लेने की जरूरत न पड़े और भविष्य में उन्हें अदालतों में लड़ने की जरूरत भी न हो.
द मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव (Telecommunications Minister Ashwini Vaishnaw) ने गुरुवार को नई दिल्ली में अपने कार्यालय में एक इंटरव्यू में सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि सरकार इस तरह के तरीके तलाश रही है कि कंपनियों को बिजनेस में सहूलियत हो. सरकार का लक्ष्य है कि फरवरी 2022 तक नए नियम प्रस्तुत किए जाएं.
रेगुलेशन भी 60-70 साल पुराने
वैष्णव ने औपनिवेशिक युग (colonial-era) के भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम (Indian Telegraph Act) का जिक्र करते हुए कहा कि टेलीकॉम अभी भी 1885 में बनाए गए एक अधिनियम द्वारा शासित है, लेकिन चीजें नाटकीय रूप से काफी बदल गई हैं और इससे जुड़े रेगुलेशन भी 60-70 साल पुराने हैं, जो सरकार को इस क्षेत्र पर विशेष अधिकार देते हैं. उन्होंने कहा कि हम (सरकार) एक इन नियमों को पूरी तरह बदलना चाहती है.
टेलीकम्यूनिकेशंस सेक्टर के लिए राहत पैकेज देने और सेमीकंडक्टर निर्माताओं को दक्षिण एशियाई देशों की तरफ रुख करने की योजना दे चुके दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव कहते हैं कि अरबों लोगों (भारत) की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक संपन्न टेलीकॉम इंडस्ट्री की आवश्यकता है. चीन और साउथ कोरिया जैसे देश पहले ही 5G नेटवर्क इस्तेमाल कर रहे हैं. उम्मीद है कि भारत भी अगले साल अक्टूबर-दिसंबर तक 5G नेटवर्क लॉन्च कर देगा.