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नवंबर 2020 को शुरु हुआ किसान आंदोलन अब हुआ स्थगित, तारीखों के जरिए समझें अभी तक कब क्या हुआ

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केन्द्र सरकार की ओर से दिए गए प्रस्ताव पर सहमति बनने के बाद किसान संगठनों की ओर से गुरुवार को आंदोलन स्थगति कर देने का एलान किया है. किसान संगठनों की ओर से जारी यह आंदोलन 378 दिन यानि एक साल से ज्याद चला. संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से बैठक के बाद इसे स्थगित करने का एलान किया गया है. बैठक के दौरान यह भी फैसला लिया गया है कि 11 दिसंबर को किसान अपने-अपने घर लौट जाएंगे. आंदोलन स्थगित करने के एलान के बाद किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा कि किसान अहंकारी सरकार को झुका कर जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि आंदोलन खत्म नहीं हुआ स्थगित हुआ है.

बलवीर सिंह राजेवाला ने कहा, ”11 दिसम्बर से ‘घर वापसी’ होगी. संयुक्त किसान मोर्चा बरकरार रहेगा. हर महीने 15 तारीख को बैठक होगी. किसानों के मुद्दे पर आंदोलन जारी रहेगा.” इस दौरान चुनावी मैदान में उतरने के सवाल पर उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा चुनाव नहीं लड़ेगा.

बता दें कि किसानों का तीनों नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन पिछले साल 25 नवंबर को शुरू किया था. उस दौरान हजारों की संख्या में किसानों ने “दिल्ली चलो” अभियान के हिस्से के रूप में कानून को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च किया था. चलिए जानते हैं इस दौरान अब तक क्या-क्या हुआ

5 जून 2020: भारत सरकार की ओर से तीनों कृषि विधेयकों को संसद के पटल पर रखा गया था.

14 सितंबर 2020: संसद में अध्यादेश को पेश किया गया.

17 सितंबर 2020: सरकार की ओर से जारी अध्यादेश को लोकसभा से मंजूरी दे दी गई

20 सितंबर 2020: राज्यसभा में भी इस अध्यादेश को ध्वनिमत से पास करवा दिया गया.

24 सितंबर 2020: पंजाब में किसानों की ओर से तीन दिनों के लिए रेल रोको आंदोलन चलाया गया.

25 सितंबर 2020: देशभर के किसानों ने अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले एकजुट होकर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया.

27 सितंबर 2020: तीनों कृषि कानूनों को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी जिसके बाद इसे गजट में प्रकाशित किया गया.

25 नवंबर 2020: किसानों ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू किया. पंजाब और हरियाणा के किसानों ने दिल्ली चलो का नारा दिया.

26 नवंबर 2020: दिल्ली पहुंच रहे किसानों को अंबाला में रोकने की कोशिश की गई. इस दौरान पुलिस और किसानों के बीच बात नहीं बनी और दिल्ली पुलिस ने किसान संगठनों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अनुमति दी.