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बस्तर में नारों की जंग भाजपा-कांग्रेस के अपने दावे

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विधानसभा चुनाव के घमासान के बीच अब राजनीतिक दलों में नारों की जंग शुरू हो गई है। भाजपा और कांग्रेस ने बस्तर संभाग की 12 सीटों में फोकस किया है। सत्ताधारी दल ने बस्तर में 12 का 12 लक्ष्य हमारा का नारा दिया तो जवाब में कांग्रेस ने भी नारों की बौछार कर दी। कांग्रेस ने हमारे साथ है बस्तर सारा, भाजपा का बजेगा 12 का नारा देकर राजनीतिक गरमाई। दरअसल, बीते चुनाव में बस्तर संभाग की 12 सीटों में से कांग्रेस को 8 सीटें हासिल हुई थी।

वहीं भाजपा को चार सीटों में ही संतोष करना पड़ा था। इस बार सत्ताधारी दल के रणनीतिकारों ने बस्तर की सभी सीटों को टारगेट में लेते हुए रणनीति बनाई है। इस रणनीति के तहत ही भाजपा ने चुनावी अभियान शुरू किया है। इधर कांग्रेस ने बस्तर के स्थानीय मुद्दों को फोकस कर सरकार की नाकामियों को उछाला है। बस्तर में आदिवासी अधिकारों के हनन के साथ वन अधिकार पट्टे और नक्सलियों के नाम पर गिरफ्तारी और हत्या के मामलों में सरकार को घेरा है।

मुद्दों और नारों पर घमासान के बीच माना जा रहा है कि इस बार बस्तर में रोचक मुकाबला होगा। बस्तर के समीकरण पहले ही राज्य में सत्ता की दिशा में निर्णायक माने जाते रहे हैं। इस बार नए सिरे से मुकाबले की स्थिति नजर आ रही है। बस्तर में प्रत्याशी चयन के मामले में भी दोनों ही दलों ने एहतियात बरती है। वहीं इस बार नए चेहरों को आजमाने का मन बनाया है। बस्तर के नक्सल प्रभावित जिलों के अधीन आने वाले सीटों में विशेष तौर पर चुनाव प्रचार की योजना बनाई गई है।

कांग्रेस ने आदिवासियों के जल जंगल और जमीन से बेदखली के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ पदयात्राएं भी की है। इधर सत्ताधारी दल का जोर विकास के मुद्दों को लेकर नजर आ रहा है। हालांकि चुनावी घमासान के बीच अभी भी बस्तर की राजनीतिक तसवीर पूरी तरह साफ नहीं हो पाई है।

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