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रियासतकाल से गोंचा रथ बना रहे हैं बेड़ाउमरगांव निवासी

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गोंचा पर्व में रथ यात्रा के लिए नए रथ का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। ग्राम बेड़ाउमरगांव के कारीगर रियासतकाल से रथ निर्माण कर रहे हैं। गोंचा पर्व पर भगवान जगन्नाथ स्वामी की रथ यात्रा आगामी 14 जुलाई को निकलेगी। विश्वप्रसिद्ध ऐतिहासिक दशहरा हो या गुंडिचा पर्व रथ बनाने का काम रियासत काल से बेड़ाउमरगांव के ही कारीगरों को निभाना पड़ता है। बस्तर महाराजा द्वारा सौंपे गए इस कार्य को निभाते आ रहे हैं। सिरहासार भवन के सामने रथ निर्माण में लगे मुख्य कारीगर हरदेव ने बताया कि रथ निर्माण का कार्य शुरू से करते आ रहे हैं। पूर्व में उनका पूर्वज यह काम किया करते थे। पूर्वजों द्वारा रियासतकाल से किए जा रहे कार्य को वर्तमान में भी पूरा किया जा रहा है। प्रतिवर्ष 4 चक्के का रथ बनाने में 7 दिन का समय लग जाता है। नेत्रोत्सव से पूर्व रथ निर्माण का कार्य पूरा कर लिया जाता है। प्रत्येक वर्ष गुंडिचा में एक नए रथ का निर्माण किया जाता है, जिसकी चौड़ाई 14 फीट व लम्बाई 20 फीट होती है। रथ निर्माण के लिए 9 घन मीटर लकड़ी की आवश्यकता पड़ती है।

रथ की एक विशेषता यह भी है कि पूरे रथ निर्माण के दौरान ट्यूस व साल लकड़ी का ही उपयोग किया जा रहा है। ट्यूस की लकड़ी का उपयोग केवल रथ के एक्सल के लिए ही होता है।

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