Home News इंडिया बन सकता है ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल हब, पर्यावरण को मिलेगा संरक्षण

इंडिया बन सकता है ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल हब, पर्यावरण को मिलेगा संरक्षण

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साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर जितेंद्र सिंह का मानना ​​है कि भविष्य में भारत में ग्लोबल ग्रीन हाइड्रोजन  हब बनने की क्षमता रखता है. फ्यूल सलूशन के रूप में हाइड्रोजन न केवल फॉसिल फ्यूल बल्कि इलेक्ट्रिक पावरट्रेन के विकल्प के रूप में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. इस बारे में बोलते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एमिशन को कम करने के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अनडिवाइडेड एनर्जी का निवेश किया जाना चाहिए. अपने बयान में उन्होंने आगे कहा कि, “ग्रीन हाइड्रोजन न केवल हमें एमिशन में कटौती करने में मदद करेगा, बल्कि यह हमारे देश के आत्मनिर्भर बनने के प्रधान मंत्री मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप भारत को कई कार्यक्षेत्रों में सहायता करेगा”.

उन्होंने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि हर कोई भारत को ग्रीन हाइड्रोजन हब बनाने की दिशा में सामूहिक रूप से काम करे. मंत्री ने आगे कहा कि, हमारे पास पूरे विश्व के लिए क्लीन हाइड्रोजन एनर्जी को सुगम बनाने की क्षमता है, यह संपन्न होने लायक दुनिया बनाने का सही समय है.

मंत्री के अनुसार, यह पोर्टल देश भर में हाइड्रोजन रीसर्च, प्रोडक्शन, स्टोरेज, ट्रांसपोर्टेशन और एप्लीकेशन की जानकारी के लिए वन-स्टॉप शॉप के रूप में काम करेगा. यह भारत सरकार की हाइड्रोजन पॉलिसी का हिस्सा है. 2030 तक, सरकार 40 प्रतिशत नॉन-फॉसिल फ्यूल का इस्तेमाल करना चाहती है. यह देश की मौजूदा स्थिति में सुधार लाने और ग्रीन हाइड्रोजन इकोसिस्टम के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देने का इरादा रखता है ताकि जिम्मेदार जीवन को आसान बनाया जा सके.

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भले ही भारत में इलेक्ट्रिक वाहन अभी भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में हैं, फिर भी वे ग्राहकों की काफी रुचि आकर्षित कर रहे हैं. हालांकि, देश में ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाले वाहनों को अपनाना अभी भी शून्य के आसपास है. भारत में, वाहन निर्माताओं ने अभी तक हाइड्रोजन फ्यूल सेल वाहनों को पेश नहीं किया है जो पूरी तरह से एमिशन मुक्त हों. इसका मुख्य कारण महंगी विकास लागत है, जो वाहनों की खरीद लागत को बढाती है. इसके साथ ही हाइड्रोजन एनर्जी का प्रोडक्शन भी एक महंगा सौदा है.