भारत प्रशासित कश्मीर में चरमपंथी संगठन हिज़बुल मुजाहिदीन के कमांडर ने दावा किया है कि अमरनाथ यात्रा उनके निशाने पर नहीं है.
मंगलवार को सोशल मीडिया पर जारी कथित ऑडियो क्लिप में हिज़्ब कमांडर रियाज़ नायकू उर्फ़ मोहम्मद बिन क़ासिम ने कहा है कि उन्होंने कभी भी अमरनाथ यात्रा को निशाना नहीं बनाया है और न ही आगे इस तरह का कोई इरादा है.
बीबीसी इस ऑडियो क्लिप की सत्यता प्रमाणित नहीं करती है.
जारी की गई ऑडियो क्लिप में रियाज़ नायकू कहते हैं, “हमारी जंग अमरनाथ यात्रियों के साथ नहीं है. उनसे हमारा कोई लेना देना नहीं है. वो यहां धार्मिक रस्म को पूरा करने आते हैं.”
भारत के साथ साथ अमरीका ने भी हिज़बुल मुजाहिदीन को आतंकवादी संगठन की श्रेणी में रखा हुआ है.
हिज़बुल मुजाहिदीन ने भारत प्रशासित कश्मीर में कई हमलों की ज़िम्मेदारी ली थी, जिसमें साल 2014 के अप्रैल महीने में हुए धमाके भी शामिल हैं जिसमें 17 लोग ज़ख़्मी हुए थे.
भारत के सभी राज्यों से हर साल लाखों श्रद्धालु दक्षिण कश्मीर में अमरनाथ गुफा के दर्शन करने आते हैं. अमरनाथ यात्रा क़रीब 45 दिनों तक चलती है
सरकार हर साल अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम करती है.
2017 में अमरनाथ यात्रा के दौरान दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग में यात्रियों की एक बस पर हमला हुआ था जिसमें सात यात्री मारे गए थे.
पुलिस ने इस हमले के लिए लश्कर-ए-तैयबा को ज़िम्मेदार ठहराया था. पुलिस ने यह दावा भी किया था कि हमले को अंजाम देने वाले कश्मीर के तीन चरमपंथी सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे.
कैसे अस्तित्व में आया हिज़बुल मुजाहिद्दीन
माना जाता है कि हिज़बुल मुजाहिदीन पहला चरमपंथी संगठन है जिसमें अनिवार्य रूप से कश्मीरियों को सदस्य बनाया गया और ज़िम्मेदारियां दी गईं.
इस संगठन को पाकिस्तान समर्थक माना जाता है और 1990 के दशक के दौरान कश्मीरी विद्रोहियों का सबसे बड़ा चरमपंथी समूह माना जाता था.
आज भी ये संगठन उन कुछ समूहों में से एक है जो कश्मीर में अपनी उपस्थिति बनाए हुए है.