एक तरफ कोरोना वायरस तो दूसरी तरफ म्यूकोर्मिकोसिस यानी ब्लैक फंगस. कोरोना से उभर भी नहीं पाए थे कि ब्लैक फंगस की बीमारी पैर पसारने लगी. खासकर उन मरीजों में जो कोरोना संक्रमित हैं या उससे ठीक हुए हैं. देश में इस समय कुल 8,848 म्यूकोर्मिकोसिस के मामले हैं जिसमें सबसे ज्यादा मामले गुजरात में है. इसके बाद महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में ब्लैक फंगस के सबसे ज्यादा केस हैं.
केंद्रीय केमिकल और फर्टिलाइजर मंत्री सदानंद गौड़ा ने ट्वीट कर मरीजों की संख्या और उसके इलाज में इस्तेमाल होने वाली एम्फोटेरिसिन-बी की अतिरिक्त दवा की डोज राज्यों के देने के बारे में जानकारी दी. केंद्रीय मंत्री ने बताया कि किस राज्य में कितने म्यूकोर्मिकोसिस केस और उसके इलाज के कितनी एम्फोटेरिसिन-बी दी गई है. उन्होंने बताया, “बढ़ती संख्या की विस्तृत समीक्षा के बाद विभिन्न राज्यों में म्यूकोर्मिकोसिस के मामलों में, एम्फोटेरिसिन बी की कुल 23,680 अतिरिक्त वायल आज सभी राज्यों को आवंटित की गई हैं. मरीजों की संख्या जो देशभर में लगभग 8848 है. आवंटन कुल संख्या के आधार पर किया गया है.”
अबतक किस राज्य में कितने म्यूकोर्मिकोसिस केस आए
केंद्रीय संस्थाओं में- 442
गुजरात- 2281
महाराष्ट्र- 2000
आंध्र प्रदेश- 910
मध्य प्रदेश- 720
राजस्थान- 700
कर्नाटक- 500
तेलंगाना- 350
दिल्ली- 197
उत्तर प्रदेश- 112
पंजाब- 95
छत्तीसगढ़- 87
बिहार- 56
तमिलनाडु- 40
केरल- 36
झारखंड- 27
ओडिशा- 15
चंडीगढ़- 8
दमन डीयू और दादरा नागर- 6
उत्तराखंड- 2
त्रिपुरा- 1
पश्चिम बंगाल- 1
हाल ही में केंद्र ने इस बारें में राज्यों को चिट्ठी लिखकर ब्लैक फंगस को नोटिफाइड डीजीज की श्रेणी में डालने के लिए कहा है. वहीं इसके इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एंटी फंगल दवा एम्फोटेरिसिन-बी की भी कमी को दूर करने के लिए भी कोशिश जारी है. फार्मा विभाग और विदेश मंत्रालय के साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय एम्फोटेरिसिन-बी दवा के घरेलू उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए सक्रिय प्रयास कर रहे हैं.
देश में एम्फोटेरिसिन-बी के मौजूदा पांच उत्पादक और एक आयातक हैं-
भारत सीरम और वैक्सीन लिमिटेड
बीडीआर फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड
सन फार्मा लिमिटेड
सिपला लिमिटेड
लाइफ केयर इनोवेशन
माईलैन लैब्स (आयातक)
अप्रैल में इन कंपनियों की उत्पादन क्षमता काफी सीमित थी. ये घरेलू उत्पादक मई में कुल मिलाकर 1,63,752 वायल का उत्पादन करेंगे. इसके उत्पादन को जून के महीने में 2,55,114 वायल तक बढ़ाया जाएगा. इसके अलावा दवा की घरेलू उपलब्धता को आयात के जरिए पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है. मई में एम्फोटेरिसिन-बी की 3,63,000 वायल का आयात किया जाएगा, जिससे देश में इसकी कुल उपलब्धता 5,26,752 वायल होगी जिसमें घरेलू उत्पादन शामिल है. वहीं जून 2021 में 3,15,000 वायल का आयात किया जाएगा. इससे जून में घरेलू आपूर्ति के साथ एम्फोटेरिसिन-बी की देशव्यापी उपलब्धता को बढ़ाकर 5,70,114 वायल तक किया जाएगा.
वहीं देश में पांच अतिरिक्त उत्पादकों को इस दवा के उत्पादन के लिए लाइसेंस दिया गया है-
नैटको फार्मास्यूटिकल्स, हैदराबाद
एलेम्बिक फार्मास्यूटिकल्स, वडोदरा
गफिक बायोसाइन्स लिमिटेड, गुजरात
एमक्योर फार्मास्यूटिकल्स, पुणे
लाइका, गुजरात
कुल मिलाकर ये कंपनियां जुलाई 2021 से हर महीने एम्फोटेरिसिन-बी की 1,11,000 वायल का उत्पादन करेंगी. इसके अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय विदेश मंत्रालय के साथ बाकी दुनिया के देशों से एम्फोटेरिसिन-बी दवा का आयात करने की कोशिश कर रहा है .