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Kangra: कोरोना काल में पंचकर्मा थेरेपी की ओर बढ़ा लोगों का रुझान, डिमांड में इजाफा

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कोरोनाकाल (Corona Virus) के चलते स्वास्थ्य महकमे में अगर किसी चीज़ की मांग खपत से भी ज्यादा बढ़ी है तो वो है सैनिटाइजर और फेस मास्क. लेकिन इसके अलावा, लोगों ने अगर किसी और चीज़ पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया है तो वो है आयुर्वेदिक पद्धति पर. हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में धर्मशाला के आय़ुर्वेदिक (Ayurveda) अस्पताल में होने वाली पंचकर्मा थेरेपी को तो लोगों ने हाथों-हाथ लिया है. इस बात का अंदाजा दो सालों के आंकड़ों से साफ तौर पर लगाया जा सकता है.

दरअसल, साल 2019-20 में जहां जनवरी महीने तक महज़ 15 लोगों ने ही पंचकर्मा थेरेपी का लाभ उठाया था. वहीं, साल

2020-21 में जनवरी महीने तक इसी पंचकर्मा थेरेपी का 60 लोगों ने लाभ उठाया है. जो कि एक साल के आंकड़े का सीधे तौर पर चार गुणा बढ़ौतरी है. इतना ही नहीं जिस काढ़े का नाम तक महज चुनिंदा लोग जानते थे और आयुर्वेदिक अस्पताल में उस काढ़े की कभी इतनी डिमांड नहीं रही.

काढ़े की डिमांड भी बढ़ी

कोरोना के चलते इस अस्पताल में इस काढ़े की इतनी डिमांड बढ़ी कि विभाग को इसकी खपत पूरी करने में भी बेहद कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. इतना ही नहीं, विभाग ने इस काढ़े का फॉर्मूला ही लोगों को बांटने शुरू कर दिया है, ताकि लोग अस्पताल में डिपेंड होने की बजाय खुद अपने घर पर ही इस काढ़े को तैयार कर उसका प्रयोग कर सकें. आयुर्वेदिक अस्पताल के चिकित्सकों की मानें तो धर्मशाला के इस आयुर्वेदिक अस्पताल में हर प्रकार के रोगों से संबंधित पंचकर्मा थेरेपी की जाती है. उन्होंने बताया कि अस्पताल ववनविरेचन, स्नेहन, स्वेदन, निरुवस्ती, उत्तरवस्ती, जलोका, नस्य और अक्षीतर्पण जैसी थेरेपी लोगों को पंचकर्मा के जरिये देता है, जिसमें जंगली हर्बल जड़ी बूटियों का प्रयोग होता है और इन थेरेपी के जरिये लो ब्लड प्रैसर, हाई ब्लड प्रैसर समेत हर प्रकार की क्रॉनिक बीमारियों जैसे इनफर्टिलिटी, हेयर फॉल, सोरियेसिज़, एलर्जी, पिंपल्स डिस्मिनोरिया, इरेगुलर पीरियड्स, जोड़ों का दर्द, बैक पेन, ओवर वेट एनजायिटी, एन्जोमनिया और जोडिंस समेत कई तरह की बीमारियों को ठीक किया जाता है.
क्या बोली डॉक्टर

डॉक्टर ममता चंदन, एसएएमओ, आयुर्वेदिक अस्पताल, धर्मशाला का कहना है कि जिन बीमारियों का इलाज एलोपैथी में भी संभव नहीं है, उस बीमारी का इलाज़ आय़ुर्वेदिक पद्धति यानी पंचकर्मा के जरिये किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि धर्मशाला में इन दिनों स्थिति ये है कि अब इस थैरेपी के लिये डिमांड बढ़ गई है, मगर उनके पास स्थान और सुविधाएं कम पड़ गई हैं. फिलहाल एक दिन में अस्पताल 20 से 25 लोगों को इस थेरेपी का लाभ पहुंचाता है, और एक शख्स को करीब सात दिन उसके रोगों संबंधी दी जाने वाली थैरेपी के जरिये गुजारा जाता है. उन्होंने कहा कि फिलहाल लोग इस थैरिपी का लाभ लेने के लिए आयुष्मान भारत और हिमकेयर के कार्ड के तहत मान्य नहीं है. बावजूद इसके विभाग लगातार सरकार से इसके लिये संपर्क कर रहा है. ताकि ऐसे लोग भी इस पद्धति का लाभ ले सकें जो बेहद गरीब हैं और कार्ड होल्डर भी है.