अंबिकापुर. छत्तीसगढ़ के तैमोर पिंगला अभयारण्य, गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र के हाथी भी चारा-पानी के लिए सूरजपुर जिले के प्रतापपुर क्षेत्र में पहुंच रहे हैं. गन्ना के अलावा धान हाथियों को बेहद पसंद है. इस सीजन में प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के बड़े रकबे में गन्ना एवं धान की खेती की जाती है यही वजह है कि हाथी इन फसलों को खाना ज्यादा पसंद करते है. चारा, पानी की पर्याप्त उपलब्धता के कारण वर्तमान में प्रतापपुर रेंज के धरमपुर, भरदा क्षेत्र में एक साथ पचास से भी अधिक हाथियों की मौजूदगी है.
पिछले कई वर्षों के स्थानीय स्तर के अनुभव यह बताते है कि है कि खरीफ के इस सीजन में प्रतापपुर वन परिक्षेत्र में पर्याप्त धान, नदी -नालों में पानी की पर्याप्त उपलब्धता की वजह से कई हाथियों के एक जगह जमा होने के बावजूद उन्हें दिक्कत नहीं होती. लगभग दो महीने तक हाथी एक साथ ही रहेंगे. रात को छोटे दल में बंट कर भोजन के बाद सुबह हाथी फिर एक साथ मिल जाते है.
यह अनुकूल परिस्थिति हाथियों के सुरक्षित रहवास का भी माध्यम बनता जा रहा है. भारतीय वन्य जीव संस्थान के वैज्ञानिकों ने दो वर्षों तक सरगुजा वन वृत्त में हाथियों के व्यवहार को लेकर अध्ययन किया है. उस दौर में स्थानीय अधिकारी कर्मचारियों के अलावा हाथी प्रभावित क्षेत्र के गांवों के उत्साही युवाओं ने भी उनके साथ काम किया.