इस वर्ष अधिक मास यानि मलमास के कारण नवरात्र का पर्व 17 अक्टूबर से शुरू होगा, जो कि 25 अक्टूबर तक चलेगा। हिंदू पंचांग के अनुसार ऐसा संयोग 19 साल बाद बन रहा है। इससे पहले वर्ष 2001 में भी हुआ था। पंचांग के अनुसार अश्विन मास की अमावस्या तिथि यानी सर्व पितृ अमावस्या के दिन महालया मनाई जाती है। महालया अमावस्या की खत्म होने के बाद शारदीय नवरात्र शुरू हो जाती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है।
पंचांग के अनुसार नवरात्र का पर्व आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होगा, जो 17 अक्टूबर को पड़ रही है। इस दिन सूर्य कन्या राशि में चंद्रमा तुला राशि में विराजमान रहेंगे। नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः छह बजकर 23 मिनट से प्रातः 10 बजकर 12 मिनट तक है।
इस दौरान शराब, मांस, प्याज, लहसुन आदि चीजों का परहेज किया जाता है। नौ दिनों के बाद दसवें दिन व्रत पारण किया जाता है। नवरात्र के दसवें दिन को विजयादशमी या दशहरा के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध करके लंका पर विजय पाई थी।
इस बात से तंग आकर ब्रह्मा, विष्णु, महेश के साथ सभी देवताओं ने मिलकर मां शक्ति के रूप में दुर्गा को जन्म दिया। कहते हैं कि मां दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक भयंकर युद्घ हुआ और दसवें दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। इस दिन को अच्छाई पर बुराई की जीत के रूप में मनाया जाता है।