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कांग्रेस ने भाजपा को दिया झटका, फूलो देवी नेताम और केटीएस तुलसी निर्विरोध चुने गए….

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छत्तीसगढ़ में राज्यसभा की रिक्त हो रही दो सीटों के लिए सत्ताधारी दल कांग्रेस की ओर से उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी और महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष फूलो देवी नेताम ने अपना पर्चा भरा था।

छत्तीसगढ़ से कांग्रेस के उम्मीदवार फूलोदेवी नेताम और केटीएस तुलसी राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हो गए हैं। विधानसभा के अधिकारियों ने बुधवार को यहां बताया कि राज्यसभा निर्वाचन के लिए आज नाम वापसी की अंतिम तिथि के बाद विधानसभा में रिटर्निग अधिकारी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपस्थिति में फूलोदेवी नेताम और केटीएस तुलसी को निर्वाचन प्रमाण पत्र प्रदान किया।

अधिकारियों ने बताया कि फूलोदेवी नेताम ने स्वयं और केटीएस तुलसी का प्रमाण पत्र उनकी अनुपस्थिति में नगरीय विकास मंत्री शिव डहरिया ने ग्रहण किया। इस दौरान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम, भूपेश बघेल मंत्रिमंडल के सदस्य और अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद थे। छत्तीसगढ़ में राज्यसभा के रिक्त हो रहे दो सीटों के लिए सत्ताधारी दल कांग्रेस की ओर से उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी और महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष फूलोदेवी नेताम ने अपना पर्चा दाखिल किया था।

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फूलोदेवी नेताम बस्तर क्षेत्र के प्रमुख आदिवासी नेताओं में से एक हैं। नेताम वर्ष 1998 से 2003 के मध्य केशकाल विधानसभा क्षेत्र की विधायक थी। वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने कांकेर लोकसभा क्षेत्र से नेताम को अपना उम्मीदवार बनाया था। इस चुनाव में वह भाजपा के विक्रम उसेंडी से हार गई थी।

केटीएस तुलसी उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं। वह वर्ष 2014 में राज्यसभा सदस्य के रूप में नामित हुए थे। तुलसी वर्ष 1990 में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में नियुक्त हुए थे। प्रदेश में राज्यसभा के पांच में से दो सदस्यों कांग्रेस के मोतीलाल वोरा और भाजपा के रणविजय प्रताप सिंह जूदेव का कार्यकाल अप्रैल में समाप्त हो रहा है।

वहीं, बाकि तीन राज्यसभा सदस्यों में से कांग्रेस की छाया वर्मा और भाजपा के रामविचार नेताम का कार्यकाल जून 2022 तक तथा भाजपा की सरोज पाण्डेय का कार्यकाल अप्रैल 2024 तक है। राज्य के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा में अपनी संख्या को देखते हुए राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया था। छत्तीसगढ़ के 90 सदस्यीय विधानसभा में सत्ताधारी कांग्रेस के 69, भारतीय जनता पार्टी के 14, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के पांच तथा बहुजन समाज पार्टी के दो विधायक हैं।