छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार ने वनों और वन्यप्राणियों को बचाने के लिए पहल की है। सरकार ने लेमरू में हाथी रिजर्व बनाकर न सिर्फ लोगों को हाथी के प्रकोप से बचाने का काम किया, बल्कि हाथियों के जान की रक्षा भी की। छत्तीसगढ़ सरकार किसानों और आदिवासियों के हित में कार्य कर रही है।
सरकार बनते ही 2500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी, किसानों का कर्ज माफी, बिजली बिल आा और तेंदूपत्ता संग्रहण दर 4000 रुपया प्रति मानक बोरा करने का निर्णय लेकर लिए गया। वन भूमि में काबिज वनवासियों को उनके द्वारा काबिज वन भूमि का पट्टा दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार स्थानीय स्तर पर उपलब् होने वाले वनोपज से उत्पाद तैयार कर कुपोषण को दूर करने और वनवासियों को स्थानीय स्तर पर रोजगार दिलाने के लिए विशेष पहल कर रही हैं। लघु वनोपजों के संग्रहण एवं प्रारंभिक प्रसंस्करण के लिए प्रदेश में 901 स्थानों पर भंडारण एवं वर्कशेड का निर्माण किया जा रहा है।
प्रथम चरण में बस्तर संभाग में ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 200 भंडारण केंद्रों के लिए स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। इन केंद्रों पर महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से वनोपज का संग्रहण एवं प्रारंभिक प्रसंस्करण का काम किया जाएगा। जिला और राज्य स्तर पर औद्योगिक इकाई स्थापित करने के लिए प्रसंस्करण, मूल्य संर्वन, पैकेजिंग, ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाएगी।
प्रदेश को पॉलिथीन मुक्त बनाने की दिशा में अब पौरोपण कार्य में पॉलिथीन का उपयोग नहीं किया जाएगा। इसके लिए नर्सरी तैयार करने में जूट, कपड़ा तथा बांस का उपयोग किया जाएगा। वन विभाग द्वारा प्रत्येक वर्ष लगभग सात से आठ करोड़ पौों की नर्सरी तैयार की जाती है। इसके लिए अब प्रदेश में संयुक्त वन प्रबंन समितियों और वनांचल के स्व-सहायता समूहों के माध्यम से बांस अथवा दोना-पत्तल द्वारा नर्सरी तैयार की जाएगी।
इसके अलावा तीन लाख ट्री-गार्ड में लोहे का उपयोग नहीं किया जाएगा, बल्कि अब ट्री-गार्ड का निर्माण बांस से ही किया जाएगा। इससे वनांचल सहित मैदानी क्षेत्र के स्थानीय लोगों को रोजगार के साथ-साथ अतिरिक्त आमदनी होगी। राज्य भर में 800 हाट बाजारों का सर्वे उपरांत 137 हाट बाजारों का चिन्हांकन कर इसे वन-न केन्द्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। इन वन-न केंद्रों में स्व-सहायता समूहों और संयुक्त वन प्रबंन समितियों द्वारा लघु वनोपजों का संग्रहण किया जाएगा।
अब 22 लघु वनोपजों की एमएसपी पर खरीदी
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अनुमोदन उपरांत राज्य शासन द्वारा प्रदेश में वर्ष 2019-20 में 15 लघु वनोपजों के अतिरिक्त सात लघु वनोपजों की भी खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जाएगी। राज्य में अब कुल 22 लघु वनोपजों की खरीदी की जाएगी। इनमें पहले के 15 लघु वनोपजों सालबीज, हर्रा, इमली बीज सहित, चिरौंजी गुठली, महुआ बीज, कुसुमी लाख, रंगीनी लाख, कालमेघ, बहेड़ा, नागरमोथा, कुल्लू गोंद, पुवाड़, बेलगुदा, शहद तथा फूल झाडू शामिल हैं। इसके अलावा सात लघु वनोपजों में महुआ फूल (सूखा), जामुन बीज (सूखा), कौंच बीज, धवई फूल (सूखा) करंज बीज, बायबडिंग और आंवला (बीज रहित) शामिल हैं। 22 लघु वनोपजों की 950 करोड़ स्र्पये की उपज का संग्रहण वनवासियों द्वारा किया जाता है। इसे हाट बाजारों में बिक्री के लिए लाया जाता है।
फैक्ट फाइल
लघु वनोपज-खरीदी दर
महुआ फूल (सूखा) – 17 स्र्पये
जामुन बीज (सूखा) – 36 स्र्पये
कौंच बीज – 18 स्र्पये
धवई फूल (सूखा) – 32 स्र्पये
करंज बीज – 19 स्र्पये
बायबडिंग – 81 स्र्पये
आंवला (बीज रहित) – 45 स्र्पये