नवंबर से शुरू होने वाली धान खरीदी में 60 पᆬीसदी धान को पुराने बारदानों में खरीदा जाएगा। बीते वर्ष 50-50 पᆬीसदी नए और पुराने बारदानों में खरीदी की गई थी। कोरबा जिले में खरीपᆬ वर्ष 2019-20 में 10 लाख आठ हजार क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य दिया गया है। इसमें पांच लाख चार हजार क्विंटल धान खरीदी के लिए पुराने बारदानों का उपयोग किया जाएगा। बारदानों की खरीदी मिलर्स से की जाएगी। बारदानों की कीमत अभी तय नहीं हुई है। बीते वर्ष 50 पᆬीसदी धान खरीदी के लिए पुराने बारदानों का उपयोग किया गया था।
विपणन विभाग ने धान खरीदी की तैयारी तेज कर दी है। प्रत्यक केंद्रों में बारदानों की आपूर्ति प्रक्रिया शुरू हो गई है। शासन ने इस बार पूरे धान को नए बारदानों से खरीदने की बजाय 60 पᆬीसदी धान को ही पुराने बारदानों से खरीदने का निर्णय लिया है। इससे पहले धान की पूरी खरीदी नए बारदानों से होती थी। पिछले साल 50 पᆬीसदी खरीदी पुराने बारदानों से करने का निर्णय लिया गया था। प्रति नग नए बारदानों की कीमत 45 रुपये आंकी जाती है, जबकि पुराने बारदानों की खरीदी 12 से 15 रुपये में होती है। इस आशय से शासन की प्रति बोरी की खरीदी में लगभग 30 रुपये की बचत होती है। पुराने बारदानों में एक बार चावल अथवा धान का भराव होने पर उसकी रस्सियों में खिंचाव आ जाती है। ऐसे में नए बोरियों की अपेक्षा पुराने बोरियों में धान की झड़न अधिक होगी। पहले सूखती के नाम पर वजन कम होने की शिकायत रहती थी। अब उपार्जन केंद्रों में झड़न के कारण वजन कम होने की शिकायत रहेगी। धान खरीदी नवंबर माह से शुरू होना तय है। खरीदी के मुकम्मल तैयारी अभी शुरू नहीं हुई है। खरीदी के अनुकूल उठाव नहीं होने से कई दिन तक धान को खुले आसमान के नीचे भंडारित कर रखना पड़ता है। पुराने बारदानों में धान को रखने से नए की अपेक्षा सूखती का भी असर होगा।
उपार्जन केंद्रों में ड्रेनेज के लिए निचले क्रम से नए बारदानों में खरीद की जानी है। धान खरीदी के लिए विपणन विभाग ने इस वर्ष 25 हजार लाट बारदानों की मांग है। मांग के विरुद्ध अब तक 2.5 हजार लाट बारदाने मिले हैं। पुराने बारदानों की खरीदी के लिए आदेश देर से पारित होने से नया बारदाना अभी केंद्रों में नहीं पहुंचा है। वहीं नए बारदानों के लिए अभी समय लग सकता है। खरीदी की अंतिम माह पᆬरवरी संभावित है, ऐसे में जल्दी खरीदी पूर्ण होगी। समापन के समय में बारदाना आपूर्ति में विसंगति होने के कारण किसानों को केंद्र में ही रतजगा करना पड़ता है।
साल भर में एक बार उपयोग किए बारदानों की खरीदी को ही मान्य किया गया है। इसका लाभ उठाते हुए मिलर्स अधिक बार उपयोग किए जा चुके बारदाने को लाट में डाल देते हैं। इससे धान झड़ने की संभावना अधिक रहती है। वहीं अधिक पुराने बारदानों की उपयोगिता के आधार पर खरीदी की जाएगी। पुराने बारदानों की कीमत भले ही तय नहीं हुई है, किंतु बिकना तय है। इस आशय से मिलर्स अब पुराने बारदानों की पूछपरख करने लगे हैं। पुराने बारदानों की खरीदी अनुबंध के अनुसार बारदानों को निकटवर्ती केंद्रों में पहुंचाने की जिम्मेदारी भी मिलर्स की होती।
60-40 के अनुपात से पुराने और नए बारदानों में धान की खरीदी की जाएगी। खरीदी मिलर्स से की जाएगी, जिसके लिए दर शासन से तय किया जाएगा।