शासकीय पीजी कॉलेज में दो करोड़ 80 लाख रुपये की लागत से निर्मित बालिका छात्रावास भवन तीन साल से शो-पीस बना हुआ है। यहां छात्रों के लिए बनाए गए बालक हॉस्टल की उपयोगिता वर्षों बाद भी साबित नहीं हो सकी, वहीं अब छात्राओं के लिए कॉलेज परिसर में बना बालिका छात्रावास भी शुरू नहीं किया जा सका। छात्रावास भवन के चारों ओर बाहरी अहाते का निर्माण अब तक अधूरा है, जिससे कॉलेज में अध्ययन करने वाली छात्राओं को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा।
शासकीय पीजी कॉलेज में छात्राओं के लिए 100 सीटर छात्रावास भवन की मंजूरी 2016 में मिली थी। जिले के सुदूर वनांचल व उपनगरीय क्षेत्रों से आकर उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही छात्राओं की सुविधा को देखते हुए शासन ने इसकी स्वीकृति प्रदान की और निर्माण भी पूर्ण कर लिया गया। पहले ही कॉलेज में 50 सीटर छात्रावास भवन की सुविधा मौजूद थी, जिसके बाद नया भवन बनकर तैयार है, इसमें कुल 150 छात्राओं के लिए हॉस्टल की सुविधा कॉलेज में उपलब्ध है, पर बालिका छात्रावास में सुरक्षा की दृष्टि से बाहरी अहाते का निर्माण अनिवार्य है, जो अब तक नहीं किया जा सका है। यही वजह है जो अब तक छात्रावास भवन की उपलब्धता के बाद भी सुविधा नहीं मिल पा रही है। यह मापदंड अधूरा होने के कारण संचालन शुरू करने ही यह अड़चन तीन साल से आड़े आ रही है, जिसे अब तक दूर नहीं किया जा सका है।
दूर गांव से भी आतीं हैं छात्राएं
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गांव से दूरी के कारण उच्च शिक्षा से दूर हो रही ग्रामीण अंचल की छात्राओं की मुश्किल हल करने इन छात्रावास भवनों का निर्माण किया गया है। भवन बनने के बाद कॉलेज के पास दो महिला छात्रावास की व्यवस्था हो गई है, पर सुविधा से छात्राएं अब तक वंचित हैं। इस छात्रावास का लाभ दूरस्थ अंचलों से आकर अध्ययन करने वाली छात्राओं को मिलने की उम्मीद की जा रही थी, पर अहाते की कमी के कारण पेश आ रही अड़चन दूर करने कोई प्रयास शासन-प्रशासन की ओर से नहीं किया गया। 150 छात्राओं के लिए सुविधा मिलने लगे तो शहर से दूर रहने वाली छात्राओं के लिए यहां रहकर महाविद्यालय में उच्च शिक्षा प्राप्त करने की राह आसान हो सकेगी।
50 सीटर का पांच साल से इंतजार
सत्र 2012-13 में स्वीकृत कन्या छात्रावास पहले से बनकर तैयार है, जिसकी सुविधा मिलने का भी छात्राओं को एक अरसे से इंतजार है। छात्रावास में सुरक्षा के लिए बाहरी अहाते की कमी इसकी सुविधा शुरू करने आड़े आ रही है। इसकी वजह से कॉलेज की छात्राओं को समस्या से जूझना पड़ रहा। 80 लाख खर्च कर करीब पांच साल पहले ही बनकर तैयार छात्रावास भवन की रंगाई-पुताई भी की जा चुकी है। निर्माण से लेकर इलेक्ट्रिेफिकेशन व पेयजल के संसाधनों की व्यवस्था के लिए भी निर्माण एजेंसी पीडब्ल्यूडी को फंड उपलब्ध कराया गया था। अब इन समस्याओं को दूर कर लिया गया है, लेकिन बाहरी अहाते की कमी इसे शुरू करने आड़े आ रही।
फाइलों में कॉमन दीवार की योजना
50 व 100 सीटर क्षमता समेत दोनों हॉस्टल की सुविधा शुरू करने भी बाउंड्री की कमी आड़े आ रही। सुरक्षा के लिए नियम के अनुसार बाहरी अहाते का प्रावधान है, जिसके कारण इसे शुरू करने मुश्किल आ रही है। इस मुश्किल को दूर करने का रास्ता निकालते हुए कॉलेज प्रबंधन ने 100 सीटर नए हॉस्टल भवन का निर्माण भी पुराने हॉस्टल के नजदीक कराने का निर्णय लिया है। नए हॉस्टल के लिए बनने वाले बाहरी अहाते में पुराना हॉस्टल भी कवर कर लिया जाएगा। यानी दोनों हॉस्टल एक ही अहाते के भीतर होंगे। नए हॉस्टल का निर्माण 45 मीटर बाई 42 मीटर के क्षेत्रफल में होगा। निर्माण पर दो करोड़ 72 लाख की राशि खर्च की जाएगी। यह योजना फाइलों में धूल खा रही।