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छत्तीसगढ़ : उस महिला की कहानी, जो 7 साल की उम्र में नक्सली बनी, कई हत्याएं की, और अब..

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छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर (Bastar) जिला मुख्यालय जगदलपुर के पुलिस (Police) कोआरडिनेशन सेंटर में खड़ी एक महिला 22 अगस्त को चर्चा का केन्द्र रही. अपनी पहचान छिपा रही इस महिला के हाथों में लगी मेंहदी भले ही इसके भोलेपन का अहसास करा रही हो. लेकिन इस महिला के अतीत के बारे में जो जानकारी मिली, वो रुह कपाने वाली थी. पुलिस आईजी विवेकानंद सिन्हा ने महिला की पहचान छह लाख रुपये की इनामी नक्सली (Naxalite) के रुप में कराया. इसके बाद एक के बाद एक खुलासे पुलिस ने किए. पुलिस (Police) कंट्रोल रूम में स्कार्फ से मुंह बांधे अपने पति के साथ खड़ी इस महिला (Women) की कहानी, जितनी खैफनाक है, उतनी ही संवेदनशील भी. दरअसल महिला अजूं (बदला हुआ नाम) के मेंहदी वाले हाथ प्यार और स्नेह की भाषा नहीं बल्कि आतंक की भाषा अब तक बोलते रहे हैं. हाथों की कलाई में सजी चूड़ियां वाले हाथ में कभी बंदूक रहती थी, इलाके में इसके नाम की दहशत. जानते हैं इस महिला की कहनाी, उसी की जुबनी.

7 साल की उम्र में बनी नक्सली अंजू ने न्यूज 18 को बताया कि उसने अनजाने में कई घर उजाड़े. कई मां के आंचल को सूना किया, लेकिन अब इन सब से वो तौबा कर चुकी. अंजू कहती है कि बस्तर में वो दौर सलवा जुडूम का था, जब उसकी उम्र करीब 7 साल थी. सलावा जुडूम के लोगों ने उसके भाई की हत्या कर दी, घर जला दिए. इस खौफनाक यादों को जहन में रखे उसने बदला लेने की सोची और अपने बचपन को नक्सलियों के हवाले कर दिया. तब से ही वो संगठन से जुड़ गई.

अंजू कहती है- बचपन से लेकर अब तक तरह तरह के हथियार चलाने सीखे. हर ​​हथियार चलाने में माहिर हूं. अंजू कहती है नक्सल संगठन में माओवादी बच्चों को बाल संघम के रूप में शामिल कर संगठन का प्रचार प्रसार करवाते हैं. गांव में बैठकें लेना, संगठन के लिए राशन गांव से मांग कर लाना, खाना बनाना और फिर संतरी का काम करना. मेरा बचपन भी यही करते बीता. समय के साथ बाल संघम सदस्य को उम्र की सीढ़ी पार करते हुए बड़ी जिम्मेदारी भी दी जाती है. 
अंजू कहती है- मैं 17 साल की थी, तब पहली बार पुलिस पार्टी पर हमला किया. साल 2007 में बीजापुर के रानी बोदली में हमने सुरक्षा बल के जवानों पर हमला किया, जिसमें 55 जवान की हत्या कर दी गई. मैंने अपने साथियों के साथ 35 हथियार भी लूटे. इसके बाद कई हमलों में शामिल रही. कई हत्याएं की. इसी दौरान सोमारू (बदला हुआ नाम) से उसकी मुलाकात हुई. सोमारू भी हथियार चलाने में महिर है. दोनों ने प्यार के बाद शादी कर ली.

..लेकिन अब
अंजू कहती है नक्सल संगठन में प्यार करना गुनाह है. बेहतर जिंदगी की कल्पना तो की ही नहीं जा सकती. बच्चों को बहला फुसला कर नक्सली उन्हें अपने साथ ले जाते हैं. खौफनाक ट्रेनिंग देते हैं. यदि कोई विरोध करे तो मार दिया जाता है. पुलिस और सरकार की योजनाओं से ह​म प्रभावित हुए और अब बेहतर जिंदगी जीना चाहते हैं. हमें अपनी गलती का अहसास हो गया है. इसलिए हमने सरेंडर कर दिया.