छत्तीसगढ़ के बीजापुर में बारिश के दिनों में अधिकांश गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से सीधे टूट जाता है. पूरे 3 महीने तक 100 से अधिक गांव जिला मुख्यालय से टूट कर टापू में तब्दील हो जाते हैं. पिछले दो दिनों से लगातार हो रही बारिश से यही हालात निर्मित हो गए हैं. जिला मुख्यालय से 100 से अधिक गांवों को संपर्क टूट गया है. बाढ़ के कारण गांव टापू में तब्दील हो गए हैं.
दरअसल इन इलाकों में मओवादियों का दखल बेहद ज्यादा है. जिस कारण आज तक इन इलाको तक पहुंचने के लिए सड़क या पुल पुलियों का निर्माण नहीं हो पाया है. बारिश के दिनों में जिले से होकर बहने वाली इन्द्रावती, मिंगाचल, तालपेरू, चिंतावागु समेत 1 दर्जन से अधिक नदियां उफान पर होतीं हैं. वहीं जिले के अलग अलग इलाकों में 3 दर्जन से अधिक बहने वाले पहाड़ी और बरसाती नाले अंदरूनी इलाकों में बसने वाले हजारों ग्रामीणों के लिए मुसीबत का सबब बन जाते हैं.
रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करना चुनौती
बारिश के दिनों में बीजापुर के टापू बन चुके गावों के रोजमर्रा की जरूरत की वस्तुएं भी पहुंचा पाना प्रशासन के लिए चुनौती का काम होता है. क्षेत्र के भगौलिक जानकार रंजन दास का कहना है कि इन इलाकों में पहुंचने के लिए सड़क और पुल पुलिया का निर्माण नहीं हो सका है. जिला मुख्यालय से इनकी दूरी भी अधिक है. ऐसे में यहां पहुंचना मुश्किल होता है. बीजापुर जिला पंचायत सदस्य नीना रावतिया का कहना है कि संपर्क टूट चुके गांवों के लिए प्रशासन पहले से ही सतर्क रहता है. बारिश से पहले यहां जरूरी वस्तुएं उपलब्ध कराने की कोशिश रहती है. लगातार राहत कार्य भी जारी रहता है.