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छत्तीसगढ़ : नदी में डूबी पत्नी, मदद नहीं मिली तो 8 दिन के मासूम को थैले में डालकर थाने पहुंचा पति

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मुसीबत के समय यदि अपने साथ छोड़ दें और अचानक पराये गले लगा लें तो इंसान की समझ में नही आता कि वो पराये के सहयोग के लिए खुशी मनायें या फिर अपनों के छोड़ने का दु:ख. ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में सामने आय़ा है. एक घटना ने यहां के एक हंसते खेलते परिवार को तबाह कर दिया है. अपनों द्वारा मुह​ मोड़ लेने के बाद इस परिवार को परायों का सहारा मिला है.

दरअसल गरियाबंद के भैंसातरा गांव निवासी सुखराम पर बीते 4 अगस्त को उस समय मुसीबतों का पहाड़ टूटा, जब नदी में नहाते वक्त उसकी पत्नी की डूबने से मौत हो गयी. सुखराम के मुताबिक वो दिनभर अपने सगे संबधियों से मदद की गुहार लगाता रहा, मगर किसी ने उसकी मदद नहीं की. अंत में अपने 8 दिन के बच्चे को थैले में डालकर कंघे पर लटकाकर मोटरसायकल से रात को 12 बजे सिटी कोतवाली में पत्नी की मौत की सूचना दर्ज कराने पहुंचा.

पुलिस से मिली राहत
थाने में बैठे पुलिसकर्मियों के भी उसकी आपबीती सुनकर रोंगटे खड़े हो गये. डयूटी पर तैनात एसआई प्रशांत मिश्रा ने बताया कि पहले तो उन्होंने सुखराम और उसके बच्चे को अस्पताल ले जाकर ईलाज कराया और फिर गांव से उसकी पत्नि की लाश को पीएम के लिए गरियाबंद लाने की व्यवस्था की. वहीं जानकारी मिलते ही जनपद सीईओ ने भी पीड़ित को आवश्यक मदद उपलब्ध करायी.

फिलहाल प्रशासन और पुलिस की मदद से भले ही सुखराम ने पत्नी का अंतिम संस्कार कर दिया हो और उसके बच्चे का भी ईलाज हो गया हो, मगर उसके बाद भी सुखराम की मसीबतें खत्म नहीं हुई हैं. सुखराम के मुताबिक गॉव के लोग उसे सहयोग नहीं करते. यहां तक की मनरेगा के काम में भी उससे 10 साल से काम नहीं लिया गया.