बिहार के तमाम लोगों को पता है कि तरबूज गर्मी का रामवाण फल है लेकिन जिद की खेती कर राष्ट्रीय स्तर तक सम्मानित होने वाले शकरपुरा के किसान कृष्ण देव राय ने यह मिथक तोड़ दिया है। उनके दो एकड़ खेत में आज तरबूज की फसल लहलहा रही है। सरस्वती किस्म की यह बरसाती तरबूज 20 अगस्त के बाद मार्केट में उपलब्ध हो जायेगी। हालांकि बिहार में इसकी डिमांड कम है, बावजूद इसके बेगूसराय एवं पटना के बाजारों में उपलब्ध कराए जाने के साथ-साथ इस तरबूज को सिलीगुड़ी भेजा जाएगा। जहां की विदेशों से आने वाले सैलानी सिलीगुड़ी से लेकर दार्जिलिंग तक इसका स्वाद चख सकेंगे।
विशेष किस्म के इस तरबूज का बीज ताइवान के नोन यू सीड कंपनी से मंगाया गया है। ससमय और समुचित उत्पादन के लिए कृष्ण देव राय अपने मजदूरों पर भरोसा न कर खुद से रोज उसमें पानी दे रहे हैं। मल्चिंग सिस्टम से पानी के साथ-साथ बायो फंगीसाइड और पौधे के जड़ में बायो खाद भी दिया जा रहा है। जिसका असर है कि मात्र 45 दिनों में उनके खेत तरबूज से लहलहा रहे हैं। दूर-दूर से आकर किसान देख और सीख रहे हैं। इलाके में इंटरक्रापिंग के जनक के नाम से प्रसिद्ध कृष्णदेव राय ने बताया कि आज भी लोग पारंपरिक तरीके से ही खेती करना चाह रहे हैं। अगर वैज्ञानिक तरीके से खेती की जाए तो सब कुछ हमारे यहां भी हो सकता है।
उन्होंने बताया कि तरबूज भले ही गर्मी की फसल हो लेकिन बिहार से बाहर के राज्यों में बरसाती तरबूज की बहुत अधिक डिमांड है। इस समय पर्यटक स्थल पर आने वाले सैलानी तरबूज की ओर खासे आकर्षित होते हैं। जिसको देखकर उन्होंने 15 जून को दो एकड़ में डीप मल्चिंग सिस्टम से सरस्वती किस्म का तरबूज लगाया है। 65 दिनों में यह तैयार हो जाएगा। दो एकड़ में करीब 50 हजार की लागत आई है और दो लाख से भी अधिक के फायदे का सिस्टम सीड कंपनी ने बताया है।
बताये गये सिस्टम के अनुसार वैज्ञानिक तरीके से खेती कर रहे हैं। तरबूज फल चुका है, 15 दिनों में तैयार हो जाएगा। जिसके बाद रिफाइनरी टाउनशिप मार्केट तथा आयकर गोलंबर पटना के समीप स्थित फल मार्केट में पहुंचाया जाएगा। इससे बचे तरबूज को सिलीगुड़ी की कंपनी खरीदने के लिए तैयार है। जहां की विदेशों से आने वाले शैलानी उपहार के तौर पर अपने यहां भी ले जायेंगे। उन्होंने बताया कि बिहार में तरबूज अप्रैल से जून तक होता है। हमने भी जब खेतों में लगाया तो लोग मजाक उड़ा रहे थे लेकिन फल लगने के बाद आज मजाक उड़ाने वाले भी हमारी खेत पर आकर तरबूज देख रहे हैं, लगाने की विधि सीख रहे हैं। फिलहाल कृष्णदेव राय का यह तरबूज बिहार में प्रगतिशील किसानों के बीच चर्चा का विषय बन गया है।