नाग पंचमी पर जिले के नागलवाड़ी स्थित प्राचीन भीलट देव मंदिर में सुबह से ही हजारों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा हुआ है। भक्तों ने भीलटदेव का अभिषेक पूजन कर महाआरती की। प्रशासन के द्वारा श्रद्धालुओं के आवागमन, स्वास्थ्य और पेयजल को लेकर व्यवस्था की गई है। मंदिर समिति के 800 से अधिक कार्यकर्ता और 300 से अधिक पुलिस अधिकारी मौके पर तैनात हैं। मंदिर समिति के अनुसार नागपंचमी पर 5 लाख से अधिक श्रद्धालु भीलटदेव दरबार में मत्था टेकेंगे।
भगवान शिव के वदरपुत्र माने जाते हैं बाबा भीलट देव
बाबा भीलट देव का इतिहास करीबन 818 साल पुराना है। भगवान शिव के वरदपुत्र माने गए बाबा भीलट देव का जन्म हरदा जिले के रोलगांव पाटन में गवली परिवार में पिता रेलन माता मेदांबाई के यहां हुआ था। बाबा ने बचपन में ही अपनी चमत्कारिक लीलाओं से परिवार व ग्रामवासियों को आर्श्चयचकित किया था। बालक भीलट देव की तंत्र शिक्षा-दीक्षा भगवान शिव और पार्वती की देखरेख में संपन्न होना माना जाता है। तांत्रिक शक्तियों को आजमाने के लिए बाबा भीलट देव ने अपने साथी भैरव के साथ देशभर में जाकर कई तांत्रिकों ओझाओं को पराजित कर तंत्र शक्तियों का लोहा मनवाया।


बाबा भीलट देव का विवाह बंगाल की राजकुमारी राजल के साथ हुआ था। बाबा भीलट देव ने अपनी शक्तियों से जनमानस की सेवा के लिए ग्राम नागलवाडी को चुना एवं अपनी तपस्या के लिए समिपस्थ सतपुड़ा की ऊंची पहाड़ी के शिखर को चुना।
