मानसून सत्र के तीसरे दिन भी झारखंड विधानसभा के बाहर विपक्षी विधायकों ने प्रदर्शन किया. झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के विधायकों ने वन कानून में प्रस्तावित संशोधन को लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.
जेएमएम विधायकों का कहना है कि वन कानून में प्रस्तावित संशोधन आदिवासियों के हक के खिलाफ है. अगर यह संशोधन होता है, तो वन विभाग के अधिकारियों को विरोध करने वालों पर गोली चलाने तक अधिकार मिल जाएगा. सरना धर्मकोड को लेकर प्रदर्शन
वहीं कांग्रेसी विधायकों ने सदन के बाहर सरना धर्मकोड को लेकर सरकार को घेरा. कांग्रेसी विधायकों ने सूबे में सरना धर्म कोड लागू करने की मांग की. सुखदेव भगत ने सवाल उठाया कि सरना धर्म कोड पर सरकार का भरोसा कहीं लॉलीपॉप ना साबित हो जाए.
सदन के अंदर भी वन कानून के मुद्दे पर जेएमएम विधायकों ने वेल में आकर हंगामा किया. इस दौरान नाराज स्पीकर ने नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन को चेतावनी देते हुए अपने विधायकों को बैठाने के लिए कहा. विपक्ष की ओर से इस मसले पर कार्य स्थगन प्रस्ताव लाया गया, जिसे स्पीकर ने खारिज कर दिया. विपक्ष के हंगामे के दौरान सत्ता पक्ष के विधायक जय श्रीराम के नारे लगाते नजर आए, जबिक जेएमएम के विधायक जय सरना के.
बता दें कि बीते सोमवार को भारतीय वन कानून- 1927 में प्रस्तावित संशोधन के विरोध और वन अधिकार कानून- 2006 को पूर्ण रूप से लागू करने की मांग को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने सूबेभर में धरना दिया था. रांची में राजभवन के समक्ष धरने में कार्यकारी अध्यक्ष हेमन्त सोरेन के अलावा पार्टी के सभी विधायक, संगठन के नेता और हजारों की संख्या में वनवासी शामिल हुए थे. इस दौरान राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर इस मसले पर राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की गई.
जेएमएम का आरोप है कि इस मसले सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र और राज्य सरकार ने ठीक से पक्ष नहीं रखा है. इस कानून में संशोधन से झारखंड की लगभग आधी आबादी प्रभावित होगी. आदिवासियों के हितों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार को इस मसले पर पक्ष रखना चाहिए.