शुक्रवार को कटेकल्याण के डब्बा जंगल में मारा गया नक्सली कमांडर हुर्रा कुंजाम सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेट का पिस्टल रखता था। यह पिस्टल उसके शव के साथ बरामद हुआ है। 2015 में पालनार साप्ताहिक बाजार में सीआरपीएफ के असिस्टेंट बीके मलिक को शहीद कर लूटा गया था। जिसका बट नंबर 11 और बॉडी नंबर टी 14277 है। उधर पोस्टमार्टम के बाद परिजन हुर्रा का शव गांव ले गए। परिजनों के मुताबिक हुर्रा आक्रमण स्वभाव का था और वापस गांव आना नहीं चाहता था।
वर्ष 2015 में नक्सलियों ने पालनार साप्ताहिक बाजार में फोर्स पर हमला कर सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेट बीके मलिक से 9एमएम का लोडेड पिस्टल लूट लिया था। कुआकोंडा थाने में अपराध क्रमांक 21-2015 पर इसका उल्लेख बट क्रमांक सहित दर्ज है। इस हमले में असिस्टेंट कमांडेट मलिक शहीद हुए थे। इधर शनिवार को जिला हॉस्पिटल में नक्सली हुर्रा कुंजाम के शव का पोस्टमार्टम हुआ। परिजन उसके शव का अंतिम संस्कार करने अपने गांव समलवार ले गए। शव लेने हुर्रा की पत्नी, पिता और भाई अन्य ग्रामीण व सरपंच के साथ पहुंचे थे। चर्चा में हुर्रा का भाई जोगा ने बताया कि वह बचपन से ही आक्रमक स्वभाव का था। पढाई के स्कूल भी नहीं गया और नक्सलियों के लिए काम करता था। करीब 12-15 साल पहले हुर्रा जंगल में ज्यादा और गांव में कम रहने लगा। धीरे धीरे उसकी गांव में आना-जाना कम हुआ। गांव में आने पर नक्सलियों की बात करता और लोगों को अपने साथ ले जाता था। जब भी उसे वापस लौटने कहा, वह गुस्सा होकर मारने की बात करता था। कहता था कि तुम लोग संगठन की ताकत नहीं जानते, मैं घर वापस नहीं आना चाहता। आखिर ऐसा ही हुआ, अब उसका शव लेकर गांव लौट रहे हैं। सरपंच ने बताया कि वह सालों हो गए हुर्रा को नहीं देखा है। शुक्र्रवार को उसके मारे जाने की खबर परिजनों से मिली तो वह शव लेने के लिए साथ में दंतेवाड़ा आया है।