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ऐसे खुला राज, नक्सल इलाकों में आदिवासी बच्चों की तस्करी के लिए अपनाया था अलग तरीका

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छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कां​केर जिला के कोयली बेड़ा इलाके में आदिवासी बच्चों की तस्करी के रैकेट का पुलिस ने पर्दाफाश करने का दावा किया है. कोयलीबेड़ा इलाके में पिछले कुछ दिनों से से नाबालिग आदिवासी बालक-बालिकाओं के अपहरण की शिकायत पुलिस को मिली थी. इसी मामले में पुलिस ने खुलासा किया है. इस अपराध से जुड़े आरोपी इलाके के भोले-भाले बच्चों को अपनी जाल में फंसाने के लिए अलग तरीका इस्तेमाल करते थे. पुलिस ने आरोपियों के इस राज से पर्दा उठाया है.

पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, आरोपियों ने बच्चों को अपनी जाल में फंसाने के लिए आदिवासी बहुल कोयलीबेड़ा में मोबाइल शॉप खोल रखी थी. यहां आने वाले नाबालिगों को शहरी चमक-दमक, ऐशो-आराम की जिंदगी और रुपयों की लालच देकर ब्रेनवाश किया जा रहा था, जिससे वे रैकेट के चक्कर में फंस गए और बिना किसी को बताए बाहर जाने के लिए मोबाइल दुकान पहुंच गए थे. इसका खुलासा इस मामले से जुड़े दो आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद हुआ है.

12 बच्चों की तस्करी की थी तैयारी
पुलिस की माने तो आरोपियों के चंगुल में फंसे 12 आदिवासी नाबालिगों की तस्करी की तैयारी कर ली गई थी. वे सभी बाहर भेजे जाने वाले थे. इससे पहले मामले का भंडाफोड़ हो गया. जिले के अंदरूनी और नक्सल संवेदनशील गांव के आदिवासी बालक-बालिकाओं पर इस रैकेट से जुड़े दलालों की नजर लंबे समय रही है. कोयलीबेड़ा के पूर्व भी आमाबेड़ा, अंतागढ़ व दुधावा इलाके से इसी तरह लालच देकर बच्चों को बाहर भेजा चुका है.

इस तरह थी तस्करी की तैयारी
कोयलीबेड़ा में बीते 7 जुलाई की रात मामले का खुलासा पुलिस ने किया. पुलिस के मुताबिक आरोपियों ने कोयलीबेड़ा में कुछ माह पूर्व ही मोबाइल की दुकान खोली थी, जहां आने वाले ग्रामीण नाबालिग बालकों को लालच दिया जाता था. दुकान संचालक मिथुन चौधरी यहां आने वाले लोगों को लालच देकर उन्हें बहलाता फुसलाता था. करीब माह भर पूर्व मिथुन ने कागबरस व गट्टाकाल इलाके के एक 17 साल के उस बच्चे को दो हजार रुपए का लालच दिया. जो इलाके के अन्य बालक बालिकाओं को तैयार करने दलाल के रूप में काम करा रहा था.

पुलिस के मुताबिक इसी बालक ने इन दोनों गांव के बालक बालिकाओं से अलग अलग मिल उन्हें रुपयों का लालच दिखा बाहर जाने तैयार कर लिया था. जब 12 आदिवासी बालक बालिकाओं का एक जत्था तैयार हो गया तो उसे रैकेट के लोगों ने 7 जुलाई को बाहर भेजने साजिश बनाई गई थी. जिसके लिए बाइक से युवक द्वारा अलग अलग लोगों को मोबाइल दुकान लाकर जमा किया गया, लेकिन इससे पहले पूरा मामला खुल गया.

जंगल में छिप गए थे आरोपी
कोयलीबेड़ा पुलिस थाना प्रभारी उमेश पाटिल ने मीडिया से चर्चा में बताया कि घटना के बाद से फरार आरोपी भाग कर जंगल में छिप गए थे. पुलिस हर जगह अपनी मुखिबर छोड़ रखी थी. आरोपी अनिमेष चौधरी तथा संजय हालदार दोनों कोयलीबेड़ा से फरार हो गए. वे बीते 8 जुलाई को पूरे समय जंगल में छिप कर पुलिस पर नजर बनाए रखे. जैसे मामला शांत हुआ 9 जुलाई को वे यहां से भागने के लिए जंगल जंगल होते हुए अंतागढ़ पहुंचे, जहां मौजूद पुलिस के मुखबिर ने उनकी संदेहास्पद हरकतों को देख सूचना दी और फिर उन्हें पकड़ा गया. इससे पहले मोबाइल दुकान संचालक मिथुन चौधरी को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी थी.