Home News नाविक की सूझबूझ से बची 22 ग्रामीणों की जान

नाविक की सूझबूझ से बची 22 ग्रामीणों की जान

11
0

इंद्रावती नदी के मुचनार घाट में सोमवार को बड़ा हादसा नाविक के सूझबूझ से टल गया और डेढ़ दर्जन ग्रामीणों की जान बच गई। मोटरबोट चलाने वाले ग्रामीण खद्दूराम बीच धार में मशीन बंद होने से चप्पू से बोट खेकर एक चट्टान के करीब ले गया। वहां ग्रामीणों को सुरक्षित उतारकर प्रशासन तक सहायता के लिए खबर भिजवाई। रेस्क्यू टीम के पहुंचने तक करीब पांच घंटे 22 ग्रामीणों की जान चट्टान पर अटकी रही।

इंद्रावती नदी के पार आधा दर्जन पंचायत के लोगों के लिए नदी में पुल नहीं है इसलिए वे डोंगी और मोटरबोट के सहारे नदी पार करते हैं। बारिश के दिनों में ये गांव टापू के रूप में जिला मुख्यालय से अलग हो जाते हैं। इन पंचायतों के लोगों की सुविधा के लिए जिला प्रशासन ने मोटरबोट उपलब्ध कराई है जिससे लोग नदी पार करते हैं। सोमवार को भी नाविक के साथ 22 लोग बोट में सवार होकर बारसूर की तरफ आ रहे थे। तभी बीच धार में बोट बंद हो गई।

क्षमता से अधिक वजन था

बताया जा रहा है कि मोटरबोट की क्षमता दस सवारी की है लेकिन अधिक सवारी पार होते हैं। सोमवार को मोटरबोट में एक मरीज और दो बच्चों के साथ कुल 22 लोग सवार थे। इसके अलावा साइकिल और मोटरसाइकिल भी लादी गई थीं। माना जा रहा है कि बोट में अधिक वजन होने से इंजन काम नहीं कर पाया और बीच धार में ही बंद हो गया।

हॉस्पिटल और स्कूल जा रहे थे

मोटरबोट में सवार लोगों में शिक्षक, ग्रामीण के साथ एक बीमार और दो स्कूल दाखिले के लिए जा रहे बच्चे भी शामिल हैं। ग्राम चेरपाल की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लक्ष्मी नाग ने बताया कि वह गांव की दो बच्चियों रमिला और कमला को आश्रम शाला में भर्ती कराने बारसूर जा रही थी। किशन कुमार बीमार है। उपचार के लिए वे बारसूर जाने मोटरबोट में सवार थे। जल्दी बारसूर पहुंचने के लिए लोग बोट में सवार हो गए थे। सवार लोगों में स्थानीय कुछ शिक्षक भी थे, जो स्कूली कार्य से गीदम जाने के लिए निकले थे।

चट्टान में सुरक्षति बैठे थे पांच घंटे

मोटरबोट में तकनीकी खराबी के चलते सवार ग्रामीणों की जान आफत में आ गई थी। बावजूद नाविक की सूझबूझ से वे नदी के बीच एक चट्टान पर सुरक्षति पांच घंटे बैठे रहे। बीच नदी में स्थित बड़े चट्टान तक नाविक खद्दूराम ने बोट को पहुंचाया ही नहीं बल्कि ग्रामीणों को उतारकर रेस्क्यू टीम आने तक ढांढस बंधाता रहा। बताया गया कि दंतेवाड़ा से बचाव टीम मौके पर भेजी गई। इस बीच जगदलपुर से भी एक टीम पहुंची लेकिन दंतेवाड़ा की रेस्क्यू टीम ने ही चार फेरे में तीन बच्चों सहित नाविक और 22 लोगों को शाम साढ़े चार बजे तक सुरक्षति बाहर निकाल दिया। टीम ने डेढ़ से दो घंटे में रेस्क्यू पूरा किया।

नाविक को घर से ले गए थे सवारी

खद्दूराम ने बताया कि वह आज मोटरबोट चलाने के मूड में नहीं था। घर में सो रहा था, तभी कुछ ग्रामीण और एक शिक्षक घर आकर नदी पार कराने कहा। इस पर वह घर से नदी घाट पहुंचा और डीजल डालने के बाद बोट में सभी को बिठाकर इस पार ला रहा था तभी बीच धार में इंजन बंद हो गया। वह कुछ समझ पाता इससे पहले मोटरबोट नदी के बहाव में बहने लगी। किसी तरह वह चप्पू से बोट को खेते हुए चट्टान के करीब ले गया। खुद और कुछ पुरुष ग्रामीणों के साथ बोट को चट्टान से टिकाकर सभी को चट्टान पर चढ़ाया। लोगों को सूचना देकर बचाव के लिए मदद मांगी।