प्रदेश में बाघों की संख्या तेजी से घट रही है. बाघों की घटती संख्या के पीछे बड़ी वजह उनका शिकार होना बताया जा रहा है. दुनिया भर में 2022 तक बाघों की संख्या को दुगुना करने का लक्ष्य है. लेकिन छत्तीसगढ़ में उल्टा हो रहा है. बाघ बढ़ने की बजाए घट रहे हैं.
छत्तीसगढ़ में बाघों का हो रहा खुलेआम शिकार
वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो की ये रिपोर्ट बताती है कि कैसे छत्तीसगढ़ में बाघों का खुलेआम शिकार हो रहा है. शिकारी बाघों का निर्मम तरीके से शिकार कर रहे हैं और वन विभाग कुछ नहीं कर पा रहा है. रिपोर्ट की माने तो साल 2008 से लेकर 2018 तक 10 सालों में 29 बाघों का शिकार शिकारियों ने पैसों के लोभ में किया.
छत्तीसगढ़ में मिले महज 10 बाघों के प्रमाण
आइए एक नजर डालते हैं देश और प्रदेश में बाघों की संख्या पर. साल 2006 से 2010 तक प्रदेश में बाघों की संख्या 26 थी, जबकि 2014 में बढ़कर यह संख्या 46 हो गई. वहीं देश में 2006 में बाघों की संख्या 1211 थी. जो कि 2010 में बढ़कर 1706 हो गई जबकि 2014 में यह संख्या बढ़कर 2226 हो गई. छत्तीसगढ़ के टाइगर रिजर्व में हाल के दिनों में हुए फेस-4 की गणना में महज 10 बाघों के ही प्रमाण मिले हैं. जिसमें अचानकमार और इंद्रावती टाइगर रिजर्व में पांच-पांच बाघ मिले हैं. जबकि उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में एक भी बाघ के निशान नहीं मिले हैं. इससे साफ पता चलता है कि प्रदेश में धड़ल्ले से बाघों का शिकार हो रहा है
आने वाले सालों में छत्तीसगढ़ में बाघों का दिखना मुश्किल हो जाएगा
जिस तेजी से प्रदेश में बाघों का शिकार हो रहा उससे ऐसा लगता है कि आने वाले सालों में ही छत्तीसगढ़ के जंगल में बाघों का दिखना मुश्किल हो जाएगा. बड़े-बड़े टाइगर रिजर्व महज चिड़ियाघर रह जाएंगे. बाघों की घटती संख्या पर जहां एक ओर देश और विदेश में चिंता जताई जा रही है. वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ उदासीन बना हुआ है. जिसका खामयाजा ना केवल बाघ अपनी जान गवां कर चुका रहे हैं. बल्कि शिकारियों के भी हौसले बुलंद हो रहे हैं. देखना होगा बाघों के संरक्षण के लिए दिन रात काम करने की दुहाई देने वाली सरकार बाघों को बचाने के लिए क्या करती है.