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पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी की मुश्किलें बढ़ीं, फिर खुली दंतेवाड़ा भूमि घोटाले की फाइल

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पूर्व कलेक्टर और वर्तमान में भाजपा नेता ओपी चौधरी की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. प्रदेश की सरकार दंतेवाड़ा भूमि घोटाले की फाइल एक बार फिर खुलवा दी है. ओपी चौधरी पर सुरभि कालोनी की बंधक जमीन को नियम के खिलाफ जाकर मुक्त करने का आरोप है. यह मामला पहले दब गया था.छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद इस जमीन घोटालों की जांच फिर शुरू हुई है. राज्य सरकार चौधरी के खिलाफ पहले लगे आरोपों पर कार्रवाई की तैयारी में है. इसके लिए दंतेवाड़ा कलेक्टर ने एसडीएम से सुरभि कालोनी मामले से जुड़े अब तक हुई जांच की फाइल मांगी है.

आईएएस अधिकारी ओपी चौधरी ने 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले रायपुर के कलेक्टर के पद से इस्तीफा देकर बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. खरसिया विधानसभा सीट से वे प्रत्याशी थे लेकिन चुनाव हार गए. उसी दौरान आम आदमी पार्टी (आप) ने आरोप लगाया था कि उन्होंने कुछ लोगों को कृषि भूमि के बदले करोड़ों की सरकारी व्यवसायिक भूमि दे दी. फिलहाल यह मामला कोर्ट में है.

चौधरी पर आरोप है कि दंतेवाड़ा की सुरभि कालोनी के 41बंधक प्लॉट नियम विरुद्ध मुक्त किए गए. इन प्लाट्स की कीमत 2.5 करोड़ रुपए से भी अधिक है. सुरभि कालोनी 8 एकड़ में बनी है. 2005 में इस कॉलोनी का लाइसेंस जारी हुआ था. तब कालोनी की 15 फीसदी भूमि गरीब वर्ग के लिए आरक्षित थी. इस भूमि के 41 प्लॉट दंतेवाड़ा नगर पालिका के पास बंधक थे. शिकायत यह की गई कि फर्जी समिति और एनओसी के जरिए बंधक भूमि को मुक्त कराकर बेच दिया गया.

चौधरी का जब दंतेवाड़ा से ट्रांसफर हुआ तो बाद में उनकी जगह आए दंतेवाड़ा के कलेक्टर केसी देवसेनापति ने मामले की जांच कराई. जांच रिपोर्ट नगर प्रशासन विभाग को भेजी गई पर तब कोई कार्रवाई नहीं हुई. उस रिपोर्ट में कालोनाइजर पर एफआइआर दर्ज करने और नगरपालिका के तत्कालीन सीएमओ को निलंबित करने की सिफारिश की गई थी. अब मामले की फिर से जांच शुरू हो गई है.