अनोखी परंपरा और संस्कृति के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध नक्सल हिंसा से ग्रसित छत्तीसगढ़ का आदिवासी बाहुल्य बस्तर किसी न किसी कारण से चर्चा में बना रहता है. छत्तीसगढ़ में 15 साल बाद सत्ता में आई कांग्रेस ने दिसंबर 2018 में एक ऐतिहासिक फैसला किया. बस्तर में टाटा कंपनी के मेगा स्टील प्लांट लगाने के नाम पर 13 साल पहले किसानों से ली गई जमीन वापस कर दी गई. देश में यह पहला मामला है, जब किसी उद्योग के लिए अधिग्रहित जमीन किसानों को वापस की गई है.
बस्तर के चित्रकोट विधानसभा के लोहांडीगुडा इलाके को साल 2005 में आदिवासी किसानों की 1764.64 हेक्टेयर जमीन टाटा इस्पात संयंत्र के लिए सरककार के छत्तीसगढ़ प्रदेश उद्योग विकास निगम द्वारा अधिग्रहित की गई थी. साल 2016 में टाटा ने बस्तर में संयंत्र लगाने से असमर्थता जताई और एमओयू रद्द हो गया. इसके बाद किसानों को जमीन वापस करने के लिए आंदोलन और प्रदर्शन हुए. तब की भाजपा सरकार के खिलाफ हुए चित्रकोट के विधायक दीपक बैज मुखर रहे. 2018 के विधानसभा चुनाव में वे फिर जीते और कांग्रेस की सरकार भी बनी. इसके बाद बड़ा निर्णय जमीन वापसी का हुआ और दीपक बैज बस्तर के हीरो बन गए.

दीपक बैज.
विधायक दीपक बैज की इसी छवि का लाभ लेने के लिए लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस ने उन्हें बस्तर संसदीय क्षेत्र से अपना प्रत्याशी बनाया है. पहले ही चरण में 11 अप्रैल को इस सीट पर वोटिंग हो चुकी है. कांग्रेस प्रत्याशी का सीधा मुकाबला बीजेपी प्रत्याशी बैदूराम कश्यप से माना जा रहा है. 23 मई को परिणाम सामने आ जाएंगे, लेकिन अटकलें लगाई जा रही हैं कि बस्तर संसदीय क्षेत्र में लगातार 20 साल से काबिज बीजेपी के विजय रथ को दीपक बैज इस बार रोक सकते हैं.

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राजनीतिक सफर
कांग्रेस के युवा नेता दीपक बैज बीजेपी के बैदूराम कश्यप को साल 2013 में विधानसभा चुनाव हरा चुके हैं. कांग्रेस ने कई वरिष्ठ नेताओं को किनारे करके 37 वर्षीय माढ़िया आदिवासी नेता बैज को इस बार मैदान में उतारा है. बैज कृषक परिवार से हैं. इनकी शैक्षणिक योग्यता एमए तक है. इन्होंने छात्र राजनीति से विधायक तक का सफर किया है. वर्ष 2000 में एनएसयूआइ के बस्तर जिला के महासचिव बनाए गए थे.
2003 से 2004 तक अनुसूचित जाति-जनजाति छात्र संगठन जिला बस्तर के अध्यक्ष रहे। इस दौरान छात्र राजनीति करते हुए बैज ने युवा राजनीति में प्रवेश किया. बस्तर जिला युवा कांग्रेस के महासचिव बनाए गए. 2005 में पंचायत चुनाव लड़े और जिला पंचायत सदस्य बन गए. यहां से इनकी मुख्य संगठन की राजनीति शुरू हुई. वर्ष 2011 से 2013 तक ब्लॉक कांग्रेस कमेटी लोहंडीगुड़ा के कार्यकारी अध्यक्ष रहे.
इसी दौरान इन्हें ब्लॉक कांग्रेस कमेटी का पूर्णकालिक अध्यक्ष भी बना दिया गया. 2013 में पार्टी ने बैज को चित्रकोट से विधानसभा चुनाव लड़ाया और पहली बार विधायक चुने गए. 2018 में फिर से पार्टी ने इन्हें मैदान में उतारा. बैज लगातार दूसरी बार विधानसभा चुनाव जीतने में सफल रहे.

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माउंटेनमैन के रूप में भी पहचान
दीपक बैज ने बस्तर में पहाड़ तोड़कर सड़क बनाने के लिए ग्रामीणों को प्रेरित किया और खुद श्रमदान भी किया, इसलिए इन्हें माउंटेनमैन के नाम से भी जाना जाता है. बैज को 2017 में भारतीय छात्र संसद पुणे में आदर्श युवा विधायक के रूप में सम्मानित किया गया था. विधायक रहते हुए बैज ने लगातार 50 दिनों तक एक हजार किमी से अधिक पदयात्रा की और गांवों में रात बिताकर ग्रामीणों की समस्याएं सुनीं थीं.