Home News केंद्रीय जल आयोग की मध्यस्थता को भी नहीं मानती ओडिशा सरकार

केंद्रीय जल आयोग की मध्यस्थता को भी नहीं मानती ओडिशा सरकार

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वर्तमान में बस्तर की प्राणदायिनी इंद्रावती नदी में जल का भराव अत्यंत ही कम है और इस ग्रीष्म काल में बस्तर को जीवन देने वाली इंद्रावती स्वयं ही अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। इस संबंध में यह एक चौंकाने वाला तथ्य है कि केंद्रीय जल आयोग की मध्यस्थता में वर्ष 2002 में इंद्रावती के बरसात के मौसम को छोड़कर शेष बचे हुए आठ माहों में पानी देने के संबंध में ओडिशा व छत्तीसगढ़ शासन को दिये गये प्रस्ताव को ओडिशा अभी तक मानने से बच रहा है और अपने क्षेत्र में मनमाने तरीके से इंद्रावती का पानी उपयोग कर रहा है। जबकि उस समय छत्तीसगढ़ शासन ने ओडिशा से गैर मानसूनी सीजन में इंद्रावती को 9.39 टीएमसी पानी दिये जाने के लिए आग्रह किया था और इस प्रस्ताव को केंद्रीय जल आयोग ने भी समर्थन दिया था। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2002 में केंद्रीय जल आयोग के चेयरमेन की अध्यक्षता में छत्तीसगढ़ व ओडिशा के अधिकारियों की उच्चस्तरीय बैठक में प्रदेश सरकार ने यह आग्रह किया था, जिसे मानने में ओडिशा शासन अभी तक परहेज कर रहा है। इस संबंध में एचआर कुटारे प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग छत्तीसगढ़ शासन का कहना है कि ओडिशा के साथ हुए जल समझौते में ओडिशा से छत्तीसगढ़ को इंद्रावती नदी में 45 टीएमसी पानी सालाना देने की बात कही गई थी, लेकिन इस समझौते में गैर मानसूनी सीजन में पानी देने को लेकर कोई उल्लेख नहीं किये जाने से अब परेशानी हो रही है। 18 वर्ष पूर्व सीडब्लूयूसी के साथ अंतराज्यीय बैठक में ओडिशा से गैर मानसून सीजन में 9.39 टीएमसी पानी देने की प्रदेश शासन ने मांग की थी। जिस पर ओडिशा की सरकार ने अभी तक कोई उत्तर नहीं दिया है। इस प्रकार एक और आग्रह 2003 में भी ओडिशा शासन से किया गया था।

इसमें प्रदेश शासन ने समझौते के अनुरूप मिलने वाले 45 टीएमसी पानी में से 20 फीसदी पानी गैर मानसूनी सीजन में देने का आग्रह किया था। उस समय ओडिशा के उच्चाधिकारियों ने यह कहा था कि वे अपनी सरकार से चर्चा कर सूचित करेंगे। लेकिन आज तक कोई उत्तर प्राप्त नहीं हो सका है। इस प्रकार ओडि़शा शासन की हठधर्मिता से बस्तर में इंद्रावती का अस्तित्व खतरे में पड़ा हुआ है और प्रदेश में भी इस समय कांग्रेस की नई सरकार पदासीन है। जिसे समय रहते इस समस्या को प्रदेश शासन पर दबाव डालते हुए सुलझाना अति आवश्यक हो गया है। इस ग्रीष्मकाल में इंद्रावती के लिए पानी ओडिशा द्वारा छोड़ा गया तो अगले माह से होने वाले वर्षा ऋतु के आरंभ तक यह पानी बस्तर के वासियों के लिए एक अमृत समान सिद्ध होगा और प्रदेश शासन की छवि भी निखर उठेगी।