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खरौद नगर में विश्व का एकमात्र शिव मंदिर जहां रूद्राक्ष रूप में होती है शिव की पूजा

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जिला मुख्यालय जांजगीर-चांपा से 35 किमी की दूर खरौद नगर स्थित है। जिसे छत्तीसगढ़ राज्य के काशी नगरी के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहां प्रदेश में सबसे ज्यादा मंदिर यहीं है। यहां स्थित विश्व विख्यात लक्ष्मणेश्वर पर लोगों की वैसी ही श्रद्वा हैै जैसी काशी में विश्वनाथ या फिर उज्जैन में महाकालेश्वर की। खरौद नगर के लक्ष्मणेश्वर शिव का मंदिर इसलिए भी अनुठा है क्योंकि यहां भोले शंकर शिव लिंग के रूप में या मूर्ति रूप नहीं बल्कि रूद्राक्ष के रूप में नजर आते हैं। ऐसी मान्यता है कि पूरे विश्व में एक मात्र मंदिर है। जहां रूद्राक्ष रूप में भगवान शंकर की पूजा होती है। संरक्षण के अभाव में यह संरक्षित ऐतिहासिक धरोहर नष्ट होने के कगार पर है।

सावन माह में यहां देशभर के श्रद्वालु आते हैं। लक्ष्मणेश्वर मंदिर के बारे में यह मान्यता है कि वनवास के समय लक्ष्मण जी यहां भगवान शंकर की आराधना की तो वे रूद्राक्ष रूप में यहां प्रगट हुए।  इसलिए मंदिर का नाम लक्ष्मणेश्वर मंदिर है।  शिव के लक्ष्मणेश्वर होने की दूसरी मान्यता यह है कि  वे यहां एक लाख मुख के साथ विराजे हैं। शिव की मूर्ति की आकृति रूद्राक्ष की तरह है मुर्ति के नीचे अथाह जल कुंड है। इससे बारहों महीने जलाभिषेक होता है लेकिन यहां का पानी का जलस्तर न तो बढ़ता है और न ही कम होता है।  प्रतिवर्ष सावन व महाशिवरात्रि में श्रद्वालुओं द्वारा यहां एक लाख चावल चढ़ाया जाता है ऐसी मान्यता है कि यहां एक लाख चावल चढ़ाने से मनोकामना पूर्ण होती है।

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