भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ (ट्राइफेड) की ओर से आदिवासियों के हित के लिए लांच की गई ट्राइफूड योजना के तहत छत्तीसगढ़ के बस्तर के जगदलपुर में महुआ का पेय बनाने की योजना पर काम किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक अब तक बस्तर में महुआ का उपयोग आदिवासियों द्वारा शराब बनाने के लिए किया जाता रहा है। पिछले कुछ सालों से महुआ में मेवा आदि मिलाकर लड्डू भी तैयार किया जाने लगा, लेकिन बाजार के अभाव में इसका उत्पादन सीमित ही है। ट्राइफेड अब महुआ के मूल्य संवर्धन के तहत हेरिटेज महुआ के नाम से ड्रिंक तैयार कर इसका उत्पादन वृहद स्तर पर करेगा।
इसके लिए जल्दी ही जगदलपुर में 11 करोड़ की लागत से प्रसंस्करण केंद्र भी तैयार किया जाएगा। ट्राइफेड के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि हाल ही में दिल्ली में केंद्रीय जनजातीय मंत्री जुएल ओराम की अध्यक्षता में एक कार्यशाला आयोजित की गयी थी। कार्यशाला में बताया गया कि सघन वन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों के लिए वनधन, ट्राइफूड के साथ ही 50 तरह के लघु वनोपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में लाया गया है। आदिवासियों का कौशल बढ़ाया जाएगा, जिससे वे वनोपज की मूल्य श्रृंखला से मिलने वाला लाभ वर्तमान के 30-40 फीसदी से बढ़कर 70-80 फीसदी तक हो जाएगा। वहीं बस्तर कलेक्टर डॉ अय्याज तंबोली ने बताया कि कार्यशाला में उन्होंने वनोपज संग्रहण करने वाले आदिवासियों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने के संबंध में एक प्रेजेंटेशन भी दिया है, जिसके मुख्य बिंदुओं पर विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जा रही है।