राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ के सबसे निर्मम झीरम घाटी नक्सली कांड में तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष समेत कई कांग्रेसी नेताओं की माओवादियों द्वारा हत्या किये जाने की घटना की जांच के लिए गठित न्यायिक जांच आयोग का कार्यकाल एक बार फिर से बढ़ा दिया है। इस जांच आयोग का कार्यकाल 11वीं बार बढ़ाया गया है। आयोग की समय-सीमा 27 फरवरी को खत्म हो रही थी। लेकिन जांच अभी तक पूरी नहीं हो पाने की वजह से इसकी समय-सीमा बढ़ाकर 31 दिसंबर 2019 तक कर दी गई है। इस संबंध में सरकार ने सोमवार को आदेश जारी किये है। 25 मई 2013 को झीरम घाटी में माओवादियों द्वारा घाट लगाकर तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उनके बेटे, विद्याचरण शुक्ला, महेन्द्र कर्मा समेत कई कांग्रेसी दिग्गज नेताओं की मौत हो गई थी।जिसके बाद राज्य सरकार ने मई 2013 में ही जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की अध्यक्षता में झीरम घाटी न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था। जांच आयोग को तीन महीने में इस घटना की रिपोर्ट देने के लिए समय-सीमा दी गई थी, लेकिन अभी तक इस हत्याकांड की जांच पूरी नहीं हो पायी है।