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डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ तांडव के आगे नहीं झुकेगा भारत, कर ली प्लानिंग

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अमेरिका की ओर से भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत का भारी-भरकम टैरिफ लगाए जाने के बाद भारत ने अपनी टेक्सटाइल निर्यात रणनीति को और मजबूत करने की ठोस योजना बना ली है. इस टैरिफ से भारत के 48 अरब डॉलर से अधिक के निर्यात पर असर पड़ने की आशंका है, जिसमें टेक्सटाइल, रत्न और आभूषण, चमड़ा, जूते, रसायन और मशीनरी जैसे क्षेत्र शामिल हैं. लेकिन भारत ने इस चुनौती को अवसर में बदलने की रणनीति तैयार कर ली है. भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी देश को अपनी नीतियों को प्रभावित करने की अनुमति नहीं दे सकता है. ऐसे में उसने एक शानदार योजना बनाई है.
भारत अब 40 देशों में विशेषआउटरीचकार्यक्रम शुरू करने जा रहा है, जिसमें यूके, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्पेन, कनाडा, मैक्सिको, रूस, तुर्की, यूएई और ऑस्ट्रेलिया जैसे प्रमुख बाजार शामिल हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन 40 देशों में भारत लक्षित रणनीति अपनाएगा, ताकि वह गुणवत्तापूर्ण, टिकाऊ और इनोवेटिव टेक्सटाइल उत्पादों के विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर सके. भारत वर्तमान में 220 से अधिक देशों को निर्यात करता है, लेकिन इन 40 देशों को सबसे खास माना जा रहा है. ये देश वैश्विक स्तर पर 590 अरब डॉलर से अधिक के टेक्सटाइल और परिधान आयात करते हैं, जिसमें भारत की हिस्सेदारी अभी केवल 5-6 प्रतिशत है.
इस हिस्सेदारी को बढ़ाने के लिए भारत सरकार और निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसी) सक्रिय रूप से काम करेंगे. 2024-25 में भारत का टेक्सटाइल और परिधान क्षेत्र करीब 179 अरब डॉलर है, जिसमें 142 अरब डॉलर का घरेलू बाजार और 37 अरब डॉलर का निर्यात शामिल है. वैश्विक टेक्सटाइल और परिधान आयात बाजार करीब 800 अरब डॉलर का है, जिसमें भारत 4.1 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ छठा सबसे बड़ा निर्यातक है.
अमेरिका के टैरिफ से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद भारत ने निर्यात को डायवर्स की रणनीति पर जोर दिया है. अधिकारी ने बताया कि ईपीसी इस रणनीति का रीढ़ होगा, जो बाजारों का मानचित्रण करेगा, उच्च मांग वाले उत्पादों की पहचान करेगा और सूरत, पानीपत, तिरुपुर और भदोही जैसे उत्पादन केंद्रों को नए अवसरों से जोड़ेगा.
भारत इन 40 देशों में पारंपरिक और उभरते दोनों बाजारों पर ध्यान देगा. मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) और इन देशों के साथ चल रही व्यापार वार्ताएं भारतीय निर्यात को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद करेंगी. विशेषज्ञों का मानना है कि यह रणनीति न केवल अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करेगी, बल्कि भारत को वैश्विक टेक्सटाइल बाजार में एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित भी करेगी. अमेरिकी अधिकारियों को भी भारत की इस त्वरित और रणनीतिक प्रतिक्रिया से आश्चर्य हुआ है. भारत की इस योजना से न केवल उसकी आर्थिक लचीलापन का पता चलता है, बल्कि यह भी संदेश जाता है कि वह वैश्विक व्यापार की चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है.

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