छत्तीसगढ़ में स्कूल और उच्च शिक्षा का दायित्व संभाल रहे मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफे के बाद उनकी कमी विभाग को खल रही है। शिक्षा सत्र के शुरुआत में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप कई फैसले लेना बाकी है।
छत्तीसगढ़ में शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले ही विभागीय मंत्री का पद खाली हो चुका है। शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफे के बाद अब मुख्यमंत्री विष्णु देव साय कैबिनेट के विस्तार को लेकर लोगों की निगाहें भी टिकी हुई है।
हालांकि जानकारों का कहना है कि जो विभाग किसी अन्य मंत्री के पास नहीं होता है, उस विभाग के सर्वेसर्वा मुख्यमंत्री होते हैं मगर मुख्यमंत्री के पास इतने काम होते हैं कि उन्हें अन्य विभागों का बंटवारा करना ही पड़ता है।
शीर्ष संगठन से निर्णय लेने में हो रही देरी : पार्टी सूत्रों के अनुसार साय कैबिनेट में किन नए विधायकों को शामिल करना है। इस पर अंतिम निर्णय तो मुख्यमंत्री का ही होगा मगर इसके पहले शीर्ष भाजपा संगठन ही नामों को अंतिम रूप से फाइनल करता है। ऐसे में भाजपा सामाजिक-जातिगत समीकरणों में ही उलझी हुई है और मंत्री पद के लिए नाम का अंतिम चयन होने में दिक्कत हो रही है।
बृजमोहन के इस्तीफे के बाद अब रायपुर से एक अन्य विधायक को मंत्री बनाना है। इसी तरह बस्तर संभाग और बिलासपुर संभाग में भी सामंजस्य बैठाना है। बिलासपुर से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक और पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल मंत्री पद के लिए प्रबल दावेदार हैं।
हालांकि पार्टी ने इस क्षेत्र से अन्य पिछड़ा वर्ग से आने वाले बिलासपुर सांसद तोखन साहू को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया है। इसके पहले बिलासपुर से उप मुख्यमंत्री अरुण साव को साय कैबिनेट में शामिल किया जा चुका है।
ऐसे में बिलासपुर क्षेत्र से लगभग पार्टी ने सभी तरह के समीकरण साधने की कोशिश की है। दुर्ग संभाग में पार्टी ने उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह को विधानसभा अध्यक्ष बनाया है। यहां दोनों ही नेता सामान्य वर्ग से हैं ऐसे में यहां पार्टी अन्य पिछड़ा वर्ग के विधायक पर दांव खेल सकती है।
रायपुर से मूणत, पुरंदर और खुशवंत साहेब के नाम पर चर्चा : साय कैबिनेट में मंत्री पद के लिए दो पद खाली हैं। इसके लिए रायपुर से पूर्व मंत्री राजेश मूणत, विधायक पुरंदर मिश्रा व गुरु खुशवंत साहेब के नाम की चर्चा है।