छत्तीसगढ़ : केंद्र की गोवर्धन योजना की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में बनेगा गो अभयारण्य, कार्ययोजना बनाने में जुटा विभाग…
छत्तीसगढ़ में गोवंशों को सुरक्षित रखने के लिए केंद्र सरकार की गोवर्धन योजना की तरह गो अभयारण्य बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की घोषणा के बाद विभाग कार्य योजना बनाने में जुट चुका है।
प्रदेश में केंद्र की गोवर्धन योजना की तर्ज पर बनेगा, मुख्यमंत्री साय की घोषणा के बाद तैयारियां शुरू
”पांच विभाग मिलकर बना रहे गो अभयारण्य की कार्य योजना”
छत्तीसगढ़ में गोवंशों को सुरक्षित रखने के लिए केंद्र सरकार की गोवर्धन योजना की तरह गो अभयारण्य बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की घोषणा के बाद विभाग कार्ययोजना बनाने में जुट चुका है। गो अभयारण्य की कार्ययोजना पांच विभाग मिलकर तैयार करेंगे।
गो अभयारण्य में गोवंशों को सुरक्षित रखने, चारा-पानी की व्यवस्था तथा स्वास्थ्य की देखभाल की पूरी व्यवस्था की जाएगी। मतगणना के बाद गो अभयारण्य को लेकर कवायद और तेज होगी। गो अभयारण्य की कार्ययोजना पंचायत, कृषि, पशु पालन समेत पांच विभाग तैयार करेंगे। इसमें सबसे अहम भूमिका पंचायत विभाग की मानी जा रही है।
बताया जाता है कि गोठानों का संचालन कृषि विभाग करता था, लेकिन गो अभयारण्य की जिम्मेदारी पंचायत विभाग को दी जा सकती है। सूत्रों का कहना है कि गो अभयारण्य की निगरानी के लिए प्रदेश स्तर पर एक मानिटरिंग सेल गठित होगा। स्थानीय स्तर पर इसकी जिम्मेदारी ग्राम पंचायत के लोगों की देने की योजना है।
गोठानों पर गरमाई थी सियासत, अब अभयारण्य पर उठाए सवाल
गोठानों के संचालन में भाजपा ने अनियमितता के सवाल उठाए थे,वहीं अब कांग्रेस गो अभयारण्य प्रोजेक्ट को गोठानों का विस्तार बता रहे हैं। कांग्रेस सरकार ने 11 हजार से ज्यादा गोठानों को विकसित करने की स्वीकृति दी थी। इनमें से छह हजार से अधिक गोठानों में अलग-अलग गतिविधियां संचालित होने का दावा भी किया था। भाजपा ने गोठानों पर 1,300 करोड़ रूपये के घोटाले का आरोप लगाया था। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रहे अरुण साव ने भी भ्रष्टाचार पर सवाल उठाए ऐ। उन्होंने गोठानों का अचानक निरीक्षण भी किया था।
युवाओं और महिलाओं को मिलेगी रोजगार : गो अभयारण्य से युवाओं और महिलाओं को रोजगार से जोड़ा जाएगा। इसके बेहतर संचालन के लिए तीन पालियों में कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाएगी। महिलाओं को अभयारण्य की अन्य गतिविधियों से जोड़ने की तैयारी है।अधिकारियों का कहना है कि विशेषज्ञों से सुझाव लेकर ही अभयारण्य का काम शुरू होगा, जिससे गोठानों की तरह किसी प्रकार की विवाद की स्थिति निर्मित न हो।