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आइए जानते हैं उस दौर की जद्दोजहद की पूरी कहानी चुनावी किस्से की जुबानी…

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लोकसभा चुनाव के मतदान के दो चरण सफलतापूर्वक पूरे हो चुके हैं। अब सभी राजनीति दल अन्य 5 चरणों के मतदान की तैयारियों में जुटे हैं। चुनाव आयोग की निगाहें इस पूरी मतदान प्रक्रिया पर बनी हुई हैं। प्रिंट हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पल-पल के अपडेट्स लोगों तक पहुंचा रहे हैं। लेकिन, दौर था, जब चुनाव का अपडेट जानने के लिए लोग लाल किले तक दौड़ लगाते थे। आइए जानते हैं उस दौर की जद्दोजहद की पूरी कहानी चुनावी किस्से की जुबानी… बात है 1971 साल के लोकसभा चुनाव की। उस वक्त चुनावों के परिणाम जनाने की उत्सुकता राजनीतिक दलों से लेकर आम जनता में भी थी। यही वजह है कि बैलगाड़ी से लेकर साइकिल तक लोग लंबा सफर तय करके लाल किले तक पहुंचते थे। लाल किले पर लकड़े का एक विशाल मतगणना बोर्ड लगाया जाता था। जिसपर संपूर्ण चुनाव के मतों की जानकारी लिखी रहती थी। आकाशवाणी भी दिल्ली के कई अलग-अलग स्थानों पर इस तरह के विशाल मतगणना बोर्ड चस्पा करवाता था। जिसको देखने के लिए लोग दूर-दूर से पहुंचते थे। कौन करता था विशाल मतगणना बोर्ड अपडेट? खास बात यह है कि इन लकड़ों के विशालकाय मतगणना बोर्डों पर सभी राजनीतिक दलों के चुनावी आंकड़े लिखे होते थे। जिसमें राजनीतिक दलों की सीटों का विवरण, उम्मीदवार कितने मतों से आगे या पीछे?, ऐसी तमाम अपडेट करने के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती थी। कार्यकर्ता सीढ़ी लगाकर इस विशालकाय मतगणना बोर्डों को अपडेट करते थे। मतगणना बोर्डों के आगे जुटती थी भीड़ इन बोर्डों को देखने के लिए दूर-दूर से लोग लंबा सफर तय करके पहुंचते थे। घंटों अपडेट होने का इंतजार करते थे। इन बोर्डों की मदद से देशभर के चुनाव परिणामों का अपडेट हासिल करते थे।