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Manipur : मणिपुर में जातीय हिंसा, प्रधानमंत्री मोदी ने क्या कहा था?

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Manipur : मणिपुर में जातीय हिंसा, प्रधानमंत्री मोदी ने क्या कहा था?

पिछले साल तीन अक्तूबर को इंफ़ाल में खुराई जनजाति के युवाओं ने मणिपुर में हिंसा के विरुद्ध मौन प्रदर्शन किया.

मणिपुर में जातीय हिंसा एक साल पहले भड़की थी. तीन मई, 2023 को मैतेई और कुकी-ज़ो समुदाय के बीच संघर्ष छिड़ गया था.

इसके बाद हिंसा की कई घटनाओं ने देश भर को झकझोर कर रख दिया था.

मणिपुर की 35 लाख की आबादी में से आधे से अधिक मैतेई समुदाय के लोग हैं, जो ख़ास तौर पर इम्फ़ाल और उसके आसपास के इलाकों में रहते हैं और इनका एक बड़ा हिस्सा हिंदू है. वहीं कुकी-ज़ो और नगा जनजातियां पहाड़ी ज़िलों में रहती आईं हैं. कुकी-ज़ो समुदाय के लोग मुख़्य तौर पर ईसाई हैं. इन दोनों ही समुदाय के बीच छिड़े संघर्ष की वजह से राज्य में कई दौर की हिंसा, मौत और इंटरनेट बंदी देखी गई. इन सबके बीच विपक्ष बार-बार मणिपुर के हालात को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर सवाल उठाता रहा है. विपक्ष प्रधानमंत्री मोदी से ये भी पूछता रहा है कि आख़िर वो मणिपुर क्यों नहीं जा रहे हैं?

प्रधानमंत्री मोदी ने क्या कहा था?

तीसरी बार जीत के लिए प्रचार करने में लगे नरेंद्र मोदी

हिंसा के बीच 19 जुलाई, 2023 को जब मणिपुर की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का एक भयावह वीडियो सामने आया तो पूरा देश हिल गया. इस घटना के लंबे समय बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के मॉनसून सत्र से पहले मीडिया से बातचीत में मणिपुर की घटना का ज़िक्र करते हुए कहा था कि उनका “हृदय पीड़ा से भरा हुआ है.” पीएम मोदी ने कहा था कि देश की बेइज़्ज़ती हो रही है और दोषियों को बख़्शा नहीं जाएगा. यह पहली बार था कि जब प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर में जारी हिंसा पर कुछ कहा. विपक्ष मणिपुर पर पीएम मोदी के न बोलने को लेकर लंबे समय से सवाल उठा रहा था. मणिपुर पुलिस ने इस वीडियो की पुष्टि करते हुए बताया था कि ये महिलाएं बीती चार मई को मणिपुर के थोबल ज़िले में यौन उत्पीड़न की शिकार हुई थीं. असम ट्रिब्यून को हाल में दिए गए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “राज्य की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है.” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे गृह मंत्री अमित शाह, संघर्ष के दौरान राज्य में रहे और इसे सुलझाने के लिए कई पक्षों के साथ 15 से अधिक बैठकें की. अमित शाह ने अपनी यात्रा के दौरान कुकी सिविल सोसाइटी समूहों से शांति की अपील की थी और उनसे हथियार सरेंडर करने के लिए कहा था. गृह मंत्री अमित शाह तो राज्य के दौरे पर पहुंचे लेकिन हिंसा भड़कने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार भी राज्य का दौरा नहीं किया.

अलग-अलग राज्यों की तकरीबन 160 यात्राएँ

सरकारी रिकॉर्ड से पता चलता है कि मणिपुर में शुरुआती उथल-पुथल के सप्ताह में प्रधानमंत्री मोदी ने दो घरेलू यात्राएं की थीं. पहली यात्रा कर्नाटक की, और दूसरी राजस्थान की.

छह मई को उन्होंने बेंगलुरु में रोड शो किया.

मई, 2023 से अप्रैल, 2024 के बीच उन्होंने अलग-अलग राज्यों की लगभग 160 यात्राएँ की, जिनमें सबसे ज़्यादा 24 बार वो राजस्थान के दौरे पर रहे.

औपचारिक और गैर-आधिकारिक दौरों को मिलाकर पीएम ने 22 बार मध्य प्रदेश का और 17 बार उत्तर प्रदेश का दौरा किया.

पिछले साल अगस्त में एक संसदीय बहस के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य में शांति की अपील की थी. ये अपील तब आई जब विपक्षी नेता उन पर चुप्पी साधने का आरोप लगा रहे थे. विपक्ष के नेताओं का कहना था कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में एक तरफ जातीय संघर्ष से मणिपुर जल रहा है दूसरी तरफ़ वो चुप्पी साधे हुए हैं.

इस साल फरवरी-मार्च में प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वोत्तर के असम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया लेकिन मणिपुर नहीं गए. उन्होंने असम के तीन दौरे, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश का एक-एक दौरा किया है.

पिछले साल नवंबर में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए थे. वो राज्य थे मिज़ोरम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना. प्रधानमंत्री मोदी बाकी सभी राज्यों में गए लेकिन मिज़ोरम नहीं गए जो कि मणिपुर से सटा हुआ राज्य है और वहाँ मणिपुर की हिंसा से विस्थापित लोग बड़ी तादाद में हैं.

बीजेपी ने इन चुनाव में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में जीत दर्ज की थी.

सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी ने विकसित भारत, विकसित उत्तर-पूर्व कार्यक्रम के लिए नौ मार्च को पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया था.

घरेलू यात्राओं के अलावा पीएम मोदी ने ख़ास तौर से एशियाई और मध्य पूर्व के 14 अंतरराष्ट्रीय दौरे भी मई 2023 के बाद से किए हैं.

जातीय संघर्ष के एक साल पहले साल 2022 में मणिपुर में विधानसभा चुनाव हुए थे. इन चुनावों में बीजेपी गठबंधन को जीत मिली थी.

एन बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद संभाला था. इस साल अप्रैल में राज्य ने लोकसभा चुनाव के लिए भी वोट डाले हैं.

हालिया चार्जशीट में हैरान कर देने वाला दावा

मणिपुर में हिंसा की शुरुआत को एक साल पूरा हो रहा है, इस बीच महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने और उनके साथ यौन उत्पीड़न करने का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है.

अब इस मामले में सीबीआई की चार्जशीट से जो जानकारियां सामने आई हैं वो बेहद परेशान करने वाली हैं.

सीबीआई की चार्जशीट में इस बात का ज़िक्र किया गया है कि जिस समय भीड़ इन महिलाओं का पीछा कर रही थी उस दौरान वो सड़क के किनारे खड़ी पुलिस की एक जिप्सी के अंदर बैठने में कामयाब हो गई थीं. लेकिन जब उन्होंने पुलिस से वाहन चलाने का अनुरोध किया तो पुलिस चालक ने उन्हें बताया कि “गाड़ी की चाबी नहीं है.”

सीबीआई की चार्जशीट में पुलिस की मौजूदगी में हुए इस अपराध पर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए मणिपुर के पुलिस महानिदेशक राजीव सिंह ने बीबीसी से कहा, “घटना का पता लगते ही थाना प्रभारी समेत उन सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ पहले ही विभागीय कार्रवाई की जा चुकी है. मणिपुर पुलिस ने ही सातों आरोपियों को गिरफ्तार किया था.”

“सीबीआई ने बाद में आकर जांच शुरू की. यह करीब एक साल पुराना मामला है और अब इसकी जांच सीबीआई कर रही है. तो दोषियों को उसी आधार पर सज़ा दी जाएगी. लेकिन यह कहना ठीक नहीं होगा कि मणिपुर पुलिस ने कार्रवाई नहीं की.”

मणिपुर ने बहुत कुछ खो दिया

पिछले एक साल में मणिपुर ने बहुत कुछ खो दिया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, 200 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई, हज़ारों घर जला दिए गए.

बहुत बड़ी संख्या में लोगों को बेघर होना पड़ा है, बड़ी संख्या में लोग लापता हैं.

साल 2023 में दुनिया भर में इंटरनेट शटडाउन से हुए नुकसान को ट्रैक करने वाले पोर्टल Top10vpn के मुताबिक़, मणिपुर में शटडाउन की वजह से डेढ़ करोड़ डॉलर यानी तकरीबन 125 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. इसमें घरों-दुकानों और कारोबार बंद रहने की वजह से हुई क्षति शामिल नहीं है.

मणिपुर पाँच हज़ार घंटे बिना इंटरनेट के रहा है.

इतना कुछ हो जाने के बाद और एक साल बाद भी मणिपुर में तनाव जारी है. इस तनाव को ख़त्म करने का फॉर्मूला अब तक सरकारें नहीं निकाल सकी हैं.