आज से डेढ़ साल पहले मानव सभ्यता कैसी थी…? शहर के करीबी हिस्से में मनुष्य किस तरह से जीवन यापन करते थे और उनकी दिनचर्या कैसी थी..? और भी तमाम तरह के सवालों के जवाब जल्द ही ढूंढ़े जाएंगे। रायपुर जिले के करीबगांव जमराव और रीवा से लगे हिस्सों में हजारों साल पुराने अवशेष जमीन खोदकर निकाले जाएंगे। जमराव गांव दुर्ग जिले के हिस्से में, जबकि रीवा रायपुर जिले के आरंग क्षेत्र से लगा हुआ हिस्सा है।
आर्कोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से उत्खनन की मंजूरी मिलने के बाद छत्तीसगढ़ पुरातत्व विभाग की ओर से उत्खनन की तैयारियां तेज कर दी गई हैं। सबसे प्राचीन गांव के करीबी हिस्से में लंबे समय तक सर्वे करने के बाद उत्खनन की योजना बनाई गई है। दरअसल सिरपुर की तरह जमराव गांव और रीवा के हिस्से में मानव सभ्यता और उनके द्वारा निर्मित प्रतिमाओं, कलाकृतियों व संस्कृति के प्रमाण मिलने के अपार संभावनाएं है। लिहाजा कई महीनों के अध्ययन के बाद पुरातत्व विभाग ने दो जगहों पर डेढ़ हजार साल पुराने प्रमाण तराशने आर्कोलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से मंजूरी ली है। राज्य के प्राचीनतम हिस्सों में मानव जीवन की शैली किस तरह से थी, अवशेष मिलने के बाद पता चलेगा।
करीब राजिम के हिस्से में ढाई हजार साल पुराने अवशेष
बताया गया है पिछले साल पुरातत्व विभाग को उत्खनन के दौरान राजिम के कई हिस्सों में ढाई हजार वर्ष पुराने अवशेष मिले थे। खनन के बाद प्रमाण संग्रहित किया गया। राजिम के सीताबाडी में पुरातत्व विभाग की ओर से पिछले 2 मार्च से पुरातात्विक उत्खनन कार्य शुरू किया गया, जहां खुदाई के दौरान टेराकोटा की कुछ ऐसी मूर्तियां मिली थी। दुर्लभ किस्म की मूर्तियां मिलने के बाद अलग-अलग तरह के कयास गढ़े गए। जिसमें एलियन के आते-जाते रहने के दावों की भी चर्चा गरमाती रही। हालांकि अधिकारिक तौर पर तथ्यों की पुष्टि नहीं की गई।
राज्य में मिल चुके हैं ये अवशेष
– बलौदाबाजार में पुरातात्विक साइट डमरू में पहली से पांचवीं सदी के प्रमाण मिले हैं। यहां पकी मिट्टी के अभिलेख मिले हैं, जिस पर पांच नए राजाओं के नाम मिले। अभिलेख ब्राम्ही लिपि में हैं।
– राजिम में चीन का चांदी का सिक्का एक, एलियन की मूर्ति एक, ऐरावत हाथी की मूर्ति सफेद पत्थर से बनी हुई मूर्ति मिली। एक सील भी मिला, अनुमान है ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में निर्माण। काले रंग के बर्तन भी मिले।
– सिरपुर में बौद्धकालिन सभ्यता के प्रमाण मिलने का दावा किया गया था। उत्खनन के दौरान पुरातात्विक अवशेष मिले थे। इनमें से शिलालेख, ताम्र पत्र बौद्ध विहार अनेक प्राचीन मूर्तियां शामिल हैं।
इनका कहना है
विभाग जल्द ही चिन्हांकित जगहों में खुदाई करेगा। रायपुर जिले के ऐसे करीबी हिस्से शामिल किए गए हैं, जहां डेढ़ हजार साल पुराने अवशेष ढूंढ़े जाएंगे। कई तरह की संभावनाएं है, प्रमाण ढूंढ़े जाएंगे – राहुल सिंह, उप संचालक, पुरातत्व विभाग