छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में दोनों चरणों के मतदान समाप्त होने के साथ ही काउंटिंग की तारीख का इंतजार है। इस बीच सियासी गलियारों में प्रत्याशियों के हार जीत को लेकर चर्चाएं तेज हैं।
छत्तीसगढ़ में इस बार सत्ता की चाभी किसी भी पार्टी को जाए (कांग्रेस या भाजपा) लेकिन मुख्यमंत्री कौन होगा? इसको लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। सियासी विश्लेषकों की ओर से भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों में उन चेहरों को लेकर मंथन शुरू है जो मुख्यमंत्री पर की रेस में शामिल हो सकते हैं।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही अपनी अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। नतीजे तो तीन दिसंबर को आएंगे लेकिन उससे पहले ही कांग्रेस में अघोषित रूप से दावेदार सामने आने लगे हैं। नेताओं की ओर से अपने पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा है। फिलहाल कुछ विश्लेषक सूबे में ओबीसी या आदिवासी मुख्यमंत्री बनाए जाने की उम्मीदें लगा रहे हैं। हालांकि कुछ का यह भी कहना है कि यदि परिस्थितियों में बदलता होता है तो सूबे को सामान्य वर्ग से भी मुख्यमंत्री मिल सकता है।
भाजपा और कांग्रेस दोनों ही एक दूसरे पर तंज कसने का काम भी कर रहे हैं। साल 2018 में हार के बाद भाजपा ने घोषित और अघोषित दोनों ही रूप में जनता के सामने सीएम का चेहरा नहीं रखा है। कांग्रेस ने भी इस चुनाव में सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कही। हालांकि कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सक्रिय नजर आए और उन्होंने 72 चुनावी सभाएं कीं।
दोनों दलों के नेताओं से जब यह पूछा जाता है कि जीत के बाद सीएम कौन हो सकता है तो फैसला हाईकमान पर छोड़ देते हैं। हालांकि गली मोहल्लों में जो कयास लगाए जा रहे हैं, उसके मुताबिक, यदि कांग्रेस की सरकार बनी तो टीएस सिंहदेव या भूपेश बघेल में से किसी को सीएम बनाया जा सकता है। हालांकि कुछ लोग ढाई ढाई साल सीएम का मसला फिर से सुर्खियों में छाने की आशंकाएं जता रहे हैं। कांग्रेस में आदिवासी चेहरे के रूप में दीपक बैज को भी देखा जा रहा है। विधानसभा अध्यक्ष चरण दास महंत को भी रेस में माना जा रहा है।
दूसरी तरफ साल 2023 के चुनाव आते-आते भाजपा में भी कई बड़े चेहरे निकलकर सामने आए हैं। डॉ. रमन सिंह छत्तीसगढ़ की सत्ता में तीन बार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इस वजह से भाजपा की सरकार बनने पर उन्हें भी सीएम पद की रेस में माना जा रहा है। यदि भाजपा में ओबीसी चेहरे की बात करें तो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और सांसद विजय बघेल भी रेस में दिख रहे हैं। नए चेहरे के तौर पर राष्ट्रीय नेतृत्व के करीबी नेताओं में शुमार ओपी चौधरी को भी सीएम पद की रेस में माना जा रहा है।