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महाराष्ट्र : दशहरा के मौके पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत स्वयंसेवकों को संबोधित किया!

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महाराष्ट्र : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाला विजयदशमी उत्सव का आयोजन आज नागपूर, रेशम बाग स्थित मैदान में किया गया। इस मौके पर बॉलीवुड सिंगर शंकर महादेवन को मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत मुख्य अतिथि के साथ शस्त्र पूजन किया।

मोहन भागवत ने RSS के स्वयंसेवकों को संबोधित किया। सरसंचालक डॉ. मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा,“हर वर्ष भारत का गर्व दुनिया में बढ़ रहा है। G20 की मीटिंग में इसकी खूब प्रशंसा हुई, मीटिंग में हमारे अतिथि की भी प्रशंसा हुई। इस बैठक के जरिए दुनिया भर के लोगो ने हमारे भविष्य की उड़ान को देखा है। हमारे नेतृत्व के कारण भारत का नाम अग्रणी देशों में आ गया है। बिजनेस में हम 10 में 5 नंबर में आ गए है, हमें अच्छा लगता है हम आगे बढ़ रहे हैं।”

“स्वार्थ के लिए संघर्ष”

मोहन भागवत ने कहा कि 22 जनवरी को रामलला अपने मंदिर में प्रवेश करने वाले हैं। उस दिन हम अपने मंदिर में पूजा कर भव्य वातावरण बना सकते हैं। हम सब को अमृतकाल देखने का मौका मिला है। स्वार्थ के लिए संघर्ष चल रहे हैं, युद्ध चलते हैं। दुनिया की भारत से अपेक्षा है कि रास्ता दिखाए। हमारी साथ यह भी समस्या रहती है। हमने जोशी मठ में समस्या देखी, धरती धंसने लगी। इससे डरने की बात नहीं है बल्कि उसके लिए उपाय करने की जरूरत है। इस जगह का खराब होना हमारे जल खराब होने के संकेत है।

“कुछ लोग है जो नहीं चाहते भारत खड़ा हो”

देश आगे बढ़ रहा है आत्मविश्वास बढ़ रहा है, दुनिया को रास्ता दिखाना है, दुनिया जैसे नहीं करना है और यही हम कर रहे हैं। सरकार की नीति में ऐसा दिख भी रहा है, नीति ऐसे चल रही है। प्रशासन को भी साथ चलना होगा लेकिन ऐसा दिख नहीं रहा, यह समाज को भी करना होगा। दुनिया में कुछ लोग हैं, भारत में भी कुछ लोग है जो नहीं चाहते भारत खड़ा हो, इसलिए वो टकराव पैदा करते रहते हैं जिससे अप्रत्याशित कलह खड़ी होती है। एक बाण से एक ही को मार सकते हैं लेकिन मंत्र विप्लव से सब मरते हैं। मणिपुर में आपस में झगड़ा होना बाहर की शक्ति का फायदा होना है। हमारे पास मजूबत सरकार है, जो तत्पर भी है, वहां 3 दिन गृहमंत्री बैठे। ऐसा चलता रहा, ऐसा करने वालो के पीछे कौन थे ? ये हो नहीं रहा बल्कि करवाया जा रहा है।

“भारत से हार्मोनी सीखनी चाहिए”

भारत में इतनी भाषा है, विभिन्नता है, लेकिन सदियों से भारत एक होकर चल रहा है, इसलिए बाहर के लोग भारत आते हैं और कहते है भारत से हमें हार्मोनी सीखनी चाहिए। कभी स्वार्थ के आधार पर एकता नहीं होती है। राष्ट्र की एकता सौदों से नहीं होती है। समझ में एकता है, लेकिन उसको तोड़ने का प्रयास हो रहा है। हम देखने में अलग हैं, पूजा अलग है, चाहे पूजा अलग से आई हो लेकिन हम एक है। भारत के घाव गहरे है विभाजन जैसे घाव हैं, लेकिन हमको ठंडे दिमाग से चलना होगा तभी एकता आएगी।