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विधानसभा चुनाव ; छत्तीसगढ़- मिजोरम विधानसभा चुनाव के पहले चरण की सीटों के लिए नामांकन…

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छत्तीसगढ़ – मिजोरम विधानसभा चुनाव के पहले चरण की सीटों के लिए नामांकन किया जा रहा है|

पहले दौर में बस्तर-दुर्ग जैसे नक्सल प्रभावित इलाके की 20 विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवार 20 अक्टूबर तक नामांकन दाखिल कर सकेंगे,

जबकि नामांकन फार्म की जांच 21 अक्टूबर तक होगी और उम्मीदवारों के पास 23 अक्टूबर तक नामांकन वापस लेने का समय होगा.

इन सभी 20 सीटों पर 7 नवंबर को वोट डाले जाएंगे.

वहीं, मिजोरम विधानसभा चुनाव के लिए अधिसूचना शुक्रवार से ही जारी हो रही है, जिसके साथ नामांकन शुरू हो रहे हैं. छत्तीसगढ़ की तरह मिजोरम में भी 20 अक्टूबर तक नामांकन दाखिल किए जा सकेंगे, जबकि नामांकन वापस 23 अक्टूबर तक लिए जा सकेंगे. राज्य की सभी 40 विधानसभा सीटों को लिए एक चरण में सात नवंबर को मतदान होंगे जबकि नतीजे एक महीने के बाद 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे.

छत्तीसगढ़ के बस्तर-दुर्ग संभाग की सीटें

छत्तीसगढ़ में पहले चरण में जिन 20 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, उसमें बस्तर संभाग की छह जिले की 12 और दुर्ग संभाग के तीन जिले की 8 विधानसभा सीटें शामिल हैं. बस्तर संभाग की 12 सीट- बस्तर (एसटी), चित्रकोट (एसटी), जगदलपुर, बीजापुर (एसटी), दंतेवाड़ा (एसटी), सुकमा-कोंटा (एसटी), नारायणपुर (एसटी), केशकाल (एसटी), कोंडागांव (एसटी), अंतागढ़ (एसटी), कांकेर (एसटी) और भानुप्रतापपुर (एसटी) सीट हैं.

दुर्ग संभाग की 8 सीटें राजनांदगांव, डोंगरगढ़ (एससी), डोंगरगांव, खुज्जी, मोहला-मानपुर (एसटी), कबीरधाम-कवर्धा और पंडरिया सीट है. इसके अलावा खैरागढ़ सीट है. इस तरह से पहले चरण की 20 सीटों में से 13 विधानसभा सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं, जबकि 7 सीटें सामान्य वर्ग के लिए हैं.

छत्तीसगढ़ के पहले चरण की 20 सीटों पर 39 लाख 23 हजार 270 और बस्तर संभाग की 12 विधानसभा सीट पर कुल 20 लाख 73 हजार 119 मतदाता हैं. इसी तरह से दुर्ग संभाग की 8 विधानसभा सीटों पर कुछ 18 लाख 50 हजार 151 मतदाता हैं. पहले चरण की 20 विधानसभा सीटों के लिए 5 हजार 303 मतदान केंद्र बनाए गए हैं.

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 का पहला चरण बीजेपी के लिए ज्यादा चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है. नक्सल प्रभावित जिन 20 सीटों पर पहले चरण में 7 नवंबर को वोटिंग होनी है,

उसमें से 19 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है जबकि महज एक सीट राजनांदगांव पर बीजेपी के विधायक हैं. ऐसे में कांग्रेस के लिए अपनी सीटों को बचाए रखने की चुनौती है,

जबकि बीजेपी की सत्ता में वापसी का पूरा दारोमदार इसी इलाके पर टिका हुआ है. कांग्रेस और बीजेपी दोनों का फोकस आदिवासी समुदाय के मतदाताओं पर है.

राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी तक के कार्यक्रम इसी इलाके में हुए हैं तो बीजेपी से अमित शाह से लेकर पीएम मोदी तक रैली कर चुके हैं.

नक्सल प्रभावित इलाके की सीट

पहले चरण की सभी सीटें नक्कल प्रभावित क्षेत्र में आती हैं. बस्तर संभाग तो धुर नक्सल प्रभावित जिला है. पिछली बार चुनाव के दौरान ही यहां गोलाबारी की घटनाएं भी हुई थीं.

संभाग से सभी जिलों को नक्सल प्रभावित क्षेत्र की सूची में शामिल किया गया है. घनघोर जंगल और पहाड़ी क्षेत्र से घिरा है.

दुर्ग संभाग के 60 फीसदी हिस्सा जंगल क्षेत्र है. यही वजह है कि चुनाव आयोग ने पहले चरण में चुनाव कराने की रूपरेखा बनाई है.

चुनाव आयोग ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पहले मतदान कराने का लक्ष्य रखा है, जिसके लिए 150 पैरामिलिट्री फोर्स मोर्चा संभालेगी.

बीजेपी के टिकट कन्फर्म तो कांग्रेस की वेटिंग

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के पहले चरण की जिन सीटों पर सात नवंबर को वोटिंग है, उनमें बीजेपी ने सभी सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं.

कांग्रेस ने अभी तक उम्मीदवारों के नाम का ऐलान नहीं किया है. राज्य के पहले चरण में 20 विधानसभा सीटों पर 39 लाख 23 हजार मतदाता मताधिकार का प्रयोग करेंगे.

मिजोरम में MNF-कांग्रेस में फाइट

मिजोरम विधानसभा चुनाव की सभी 40 सीटों के लिए शुक्रवार से नामांकन शुरू हो रहा है, जिसमें 39 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं और महज एक सीट सामान्य वर्ग के लिए अनारक्षित है.

मिजोरम में कुल 8,56,868 मतदाता है. राज्य में मिजोरम नेशनल फ्रंट (MNF), जोराम पीपुल्स मूवमेंट और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय फाइट है.

एमएनएफ के सामने अपनी सत्ता को बचाए रखने की चुनौती है तो कांग्रेस और जेपीएम अपनी वापसी की कोशिश में है.

साल 2018 विधानसभा चुनाव में एमएनएफ ने 26 सीटें जीती थीं तो जेपीएम को आठ और कांग्रेस को पांच सीटें हासिल हुई थीं.

बीजेपी एक सीट ही जीत सकी थी. मौजूदा समय में एमएनएफ के 28, कांग्रेस के 5, जेडपीएम-बीजेपी का एक-एक विधायक है. पांच विधायक निर्दलीय हैं.

मिजोरम में मतगणना की तारीख बदलने की मांग

बता दें कि ईसाई बहुल मिजोरम में बीजेपी, कांग्रेस और सत्तारूढ़ एमएनएफ सहित सभी मुख्य राजनीतिक दलों और नागरिक समाज संगठनों ने गुरुवार को संयुक्त रूप से चुनाव आयोग को पत्र लिखकर विधानसभा चुनावों की मतगणना की तारीख बदलने की अपील की है. 3 दिसंबर को ईसाई ‘पवित्र’ दिन के रूप में मनाते हैं.