मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव कई मायनों में खास है. एक तरफ जहां कांग्रेस अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने की कोशिश में है तो बीजेपी सत्ता में बने रहने की जद्दोजहद में जुटी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह समेत बीजेपी के तमाम बड़े नेता चुनावी राज्य में सभाएं कर रहे हैं, तो वहीं आज से राहुल गांधी भी पार्टी के चुनावी अभियान को धार देने के लिए मैदान में उतर रहे हैं.
शुरुआत मालवा-निमाड़ से करेंगे, जहां कहा जाता है कि इस क्षेत्र को जिसने भी फतह की, सत्ता उसी को मिली.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी शाजापुर के कालापीपल में पार्टी की ‘जन आक्रोश यात्रा’ में शामिल होंगे. सभा को संबोधित करेंगे. कालापीपल से कांग्रेस के कुणाल चौधरी विधायक हैं. राहुल गांधी का स्वागत करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ शुक्रवार रात ही इंदौर पहुंच गए हैं. जानकारी के मुताबिक, राहुल करीब साढ़े 10 बजे इंदौर पहुंचेंगे. विधानसभा चुनाव अभियान के तहत पार्टी का फोकस मालवा-निमाड़ क्षेत्र पर है. इस क्षेत्र को बीजेपी का गढ़ माना जाता है, जहां पिछले चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन एक गढ़ होने के नाते ठीक नहीं रहा था. कांग्रेस का प्रदर्शन मिला-जुला रहा, जहां 2018 में पार्टी ने 36 सीटें जीतीं.
आदिवासी-किसान वोटर पर बीजेपी-कांग्रेस का फोकस
आदिवासी और किसानों को ध्यान में रखकर दोनों बीजेपी-कांग्रेस ने योजनाओं और चुनावी वादों का पिटारा खोल रखा है. कांग्रेस मालवा-निमाड़ में शुरू से ही मेहनत कर रही है. अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान खुद राहुल गांधी ने इन क्षेत्रों का दौरा किया था. खंडवा, खरगोन, इंदौर, उज्जैन और आगर-मालवा जिले से गुजरते हुए उन्होंने आदिवासी समुदाय के लोगों से खासतौर पर मुलाकात की थी. 2013 के चुनाव में मालवा-निमाड़ में बीजेपी का प्रदर्शन शानदार रहा था लेकिन 2018 के चुनाव में पार्टी इस जीत को नहीं दोहरा सकी. पार्टी 28 सीटों पर ही सिमट गई.
मालवा-निमाड़ में आदिवासी डिसाइडर फैक्टर
मध्य प्रदेश में कुल 47 आदिवासी आरक्षित सीटें हैं. इनमें से 22 मालवा-निमाड़ में हैं. पिछले चुनाव में कांग्रेस ने यहां 14 सीटें जीती तो बीजेपी को सिर्फ सात सीटों पर ही कामयाबी मिली. एक सीट खरगोन जिले की भगवानपुरा से निर्दलीय केदार चिड़ाभाई डावर विधायक चुने गए.
मालवा-निमाड़ क्षेत्र में साल 2018 का चुनाव कांग्रेस के लिए सालों से पड़े सूखे को हरियाली में तब्दील किया था. इंदौर संभाग के आठ जिलों की 37 सीटों में से बीजेपी को महज 11 सीटें ही मिलीं. उज्जैन संभाग की 29 सीटों में बीजेपी को 17 सीटों पर ही सिमटना पड़ा था, इस कारण भाजपा इस क्षेत्र में खासा जोर लगा रही है तो वहीं कांग्रेस पूरी ताकत लगा रखा है.
मालवा-निमाड़ में बीजेपी का दांव
बीजेपी के लिए मालवा-निमाड़ कितना महत्वपूर्ण है, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां की एक सीट से पार्टी ने महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को मैदान में उतारा है. बीजेपी के इस फैसले को भी पार्टी कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने के एक तरीके के रूप में देखा जा रहा है. विजयवर्गीय का क्षेत्र-खासकर इंदौर संभाग में बड़ा प्रभाव है.
राहुल गांधी कालापीपल ही क्यों जा रहे हैं?
कालापीपल, जहां से कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपना एमपी अभियान शुरू कर रहे हैं – अपने एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट के तौर पर मशहूर है. इससे समझा जा सकता है कि यह पूरा इलाका किसानों से घिरा हुआ है, और किसान वोटर जो दोनों ही दलों के लिए महत्वपूर्ण हैं. आज की राहुल की सभा में भी किसानों की बड़ी मौजूदगी देखने को मिल सकती है.