जी 20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने आए ब्रिटेन के के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक आज सुबह अक्षरधाम मंदिर, दिल्ली पहुंचे और भगवान स्वामी नारायण के दर्शन किए. इस दौरान उनके साथ पत्नी अक्षता मूर्ति थीं.
उन्होंने में मंदिर परिसर का भ्रमण किया और विधि विधान से पूजा अर्चना की. प्रधानमंत्री खराब मौसम के बावजूद मंदिर में एक घंटे तक रहे.
बीएपीएस के अनुसार प्रधानमंत्री ऋषि सुनक का काफिला आज सुबह 6.45 बजे मंदिर पहुंचा. सद्भावना और मूल्यों के प्रतीक मंदिर में उनका पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया. इसके बाद वरिष्ठ संतों ने सुनक का स्वागत किया और महंत स्वामी महारा का संदेश सुनाया गया . जिसमें लिखा, “वसुधैव कुटुंबकम की भावना में, हम आपके और सभी उपस्थित लोगों के लिए प्रार्थना करते हैं: शिखर सम्मेलन पूरी दुनिया को शांति, धार्मिक समृद्धि और वैश्विक सद्भाव की दिशा में सामूहिक रूप से मदद करने में सफल हो.”
मंदिर में प्रधानमंत्री ऋषि सुनक का स्वागत करते बीएपीएस के वरिष्ठ संत.
प्रधानमंत्री को 100 एकड़ में फैले स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर का अवलोकन कराया गया, जो भारत की परंपराओं और प्राचीन वास्तुकला को दर्शाता आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परिसर है.
मंदिर में पूजा अर्चना करते पीएम ऋषि सुनक और पत्नी अक्षता मूर्ति.
मंदिर में सुनक और उनकी पत्नी ने पूजा अर्चना की. साथ ही मंदिर की कला और वास्तुकला की प्रशंसा की. सुनक दंपति ने नीलकंठ वर्णी महाराज की मूर्ति पर अभिषेक भी किया और विश्व शांति, प्रगति और सद्भाव के लिए प्रार्थना की.
मंदिर में प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और पत्नी अक्षता मूर्ति.
अपनी यात्रा के अनुभवों को साझा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि “मुझे और मेरी पत्नी को मंदिर में दर्शन और पूजा कर खुशी और शांति की अनुभूति हुई है. यह न केवल एक पूजा स्थल है, बल्कि एक मील का पत्थर है जो दुनिया में भारत के मूल्यों, संस्कृति और योगदान को दर्शाता है. आज ब्रिटेन में ब्रिटिश भारतीय समुदाय द्वारा किए गए सकारात्मक योगदान इन्हीं मूल्यों और संस्कृति के परिणाम हैं.
मंदिर परिसर में बारिश से बचने के लिए छाता लेकर जाते पीएम और उनकी पत्नी.
बीएपीस के वरिष्ठ संत ब्रह्मविहारी स्वामी ने कहा कि स्वामीनारायण अक्षरधाम के लिए प्रधानमंत्री का स्वागत करना सम्मान की बात है और महंत स्वामी महाराज का शांति, एकता और का संदेश को साझा करना चाहिए. ब्रिटेन के भारत के साथ मित्रता और सांस्कृतिक अदान प्रदान करने का रिश्ते हैं. इस यात्रा के माध्यम से संबंध को और मजबूत करने में खुशी हुई.