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Manipur violence: म्यांमार के रास्ते पहुंचा हथियारों का जखीरा, क्या मणिपुर हिंसा के पीछे है चीन?

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मणिपुर में जारी हिंसा के पीछे विदेशी ताकतों से इनकार नहीं किया जा सकता. राज्य में पिछले 56 दिनों से जारी हिंसा अपने आप में कई सवाल खड़े करती है. इनमें सबसे बड़ा सवाल विद्रोही गुटों के पास पहुंचे हथियारों को लेकर है.

हिंसा भड़काने के पीछे चीन की संलिप्तता पहले से ही शक के घेरे में है. अब इन हथियारों को लेकर दावा किया गया है कि इनकी तस्करी की गई और म्यांमार के रास्ते इन्हें मणिपुर पहुंचाया गया.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इंटेलिजेंस सूत्रों ने दावा किया है कि मणिपुर में हिंसा और अशांति फैलाने के लिए म्यांमार के रास्ते हथियारों की तस्करी की गई थी. हथियार की यह खेप इस महीने ही म्यांमार पहुंची थी. इन हथियारों की खरीदी हिंसा में सक्रिय विद्रोही ग्रुपों द्वारा की गई और इन्हें तीन गाड़ियों में भरकर लाया गया.

रिपोर्ट के मुताबिक, कथित तौर पर ये हथियार म्यांमार-चीन बॉर्डर के करीब स्थित ब्लैक मार्केट से लाए गए. सूत्रों के मुताबिक, मणिपुर बॉर्डर पर असम राइफल्स के जवानों को हाई अलर्ट पर रखा गया है. किसी भी प्रकार की घटना को रोकने के लिए भारत-म्यांमार सीमा पर भी निगरानी बढ़ा दी गई है.

इंफाल में चार गिरफ्तार

मणिपुर की राजधानी इंफाल में मंगलवार को सुरक्षाबलों ने हथियारों की तस्करी के आरोप में एक आईआरबी जवान समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है. खुफिया इनपुट के आधार सुरक्षाबलों ने कैरांग अवांग लीकाई, खोमिदोक के साथ-साथ कई इलाकों में तलाशी अभियान चलाया. इस दौरान सुरक्षाबलों ने भारी मात्रा में हथियारों के साथ 2.5 लाख रुपए कैश, कई मोबाइल फोन और दो कार भी बरामद की है.

3 मई से शुरू हुई हिंसा

गौरतलब है कि मणिपुर 3 मई से ही हिंसा की आग में जल रहा है. राज्य में शांति स्थापित करने की लाख कोशिशों के बाद भी स्थिति पटरी पर नहीं लौटी है. कई जिलों में अभी भी कर्फ्यू जैसे हालात हैं. इंटरनेट पर बैन है. हिंसा के दौरान हुई आगजनी की घटनाओं में सैकड़ों घर जलकर खाक हो गए. अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है जबकि हजारों की संख्या में लोग राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं.

गृहमंत्री खुद गए थे मणिपुर

इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह हिंसा प्रभावित राज्य के दौरे पर गए थे. हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करने और पीड़ितों से मुलाकात के बाद न्यायिक जांच का ऐलान किया था. वहीं, कुछ मामलों की जांच सीबीआई से भी कराने का फैसला लिया था. शाह ने अलग-अलग ग्रुपों के नेताओं से मुलाकात कर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की थी.