छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव 2018 को फतह करने के लिए कांग्रेस इस बार कई राज्यों में हुए चुनाव के अनुभव को आधार बनाकर नई रणनीति तैयारी कर रही है. इसके लिए संभाग बार स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से रायशुमारी करने के लिए पहुंच रहे हैं. दो दिवसीय प्रवास पर बस्तर पहुंची कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी ने साउथ बस्तर और मध्य बस्तर के टिकट दावेदारी की फाइलों को तैयार कर आगे के पड़ाव के लिए रवाना हो गए हैं.
कांग्रेस दावा कर रही है कि इस बार जो फॉर्मूला अपनाया जा रहा है, उससे कांग्रेस को प्रदेश में 60 से भी ज्यादा सीटों में जीत मिलेगी. वहीं कांग्रेस भवन के बाहर और दावेदार जो प्रदशर्न कर रहे थे, ऐसे लोगों की भी फाइलें तैयार की गई हैं. बता दें कि बीते सोमवार को जगदलपुर के कांग्रेस भवन में काफी ज्यादा गहमागहमी दिखाई दी. सुबह से लेकर देर शाम तक स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य बंद कमरे में कार्यकर्ताओं और बूथ समेत सेक्टर प्रभारियों से टिकट के दावेदारों की फ्रोफाइल पर चर्चा करते रहे. करीब 8 घंटे से भी ज्यादा समय तक सैकड़ों कार्यकर्ताओं को बुलाकर उम्मीदवारों के बारे में स्क्रीनिंग कमेटी ने जानकारी ली.
वहीं बीते रविवार को भी बस्तर के दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा के लिए चर्चा की गई. इसके बाद सोमवार को कमेटी के सदस्यों ने जगदलपुर, चित्रकोट और बस्तर विधानसभा के लिए कार्यकर्ताओं से जानकारी ली.
कुछ जगहों पर दो तो कहीं पर दो से ज्यादा नामों को लेकर काफी ज्यादा माथामच्ची स्क्रीनिंग कमेटी ने की. इस दौरान कुछ जगहों पर आम सहमति बनाने के लिए भी कार्यकर्ताओं को कहा गया है.इन सबके बीच स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य अरूण उराव ने दावा किया है कि इस बार पार्टी प्रदेश में गुजरात समेत दूसरे ऐसे प्रांतों का फॉर्मूला छत्तीसगढ़ में अपनाने जा रही है, जहां कांग्रेस ने अच्छा प्रदशर्न किया हैं. स्क्रीनिंग कमेटी को जिन विधानसभा के लिए ज्यादा समय माथा मच्ची करना पड़ा उनमें चित्रकोट जिसमें 13 लोगों ने दावेदारी की है. इसके अलावा जगदलपुर जहां से 43 लोगों ने फॉर्म भरा है. इसके साथ ही बस्तर विधानसभा जहां भले ही दो लोगों ने फॉर्म भरा है, जिनमें सीटिंग एमएलए लखेश्वर बघेल और जिला पंचायत सदस्य सूरज कश्यप को लेकर काफी ज्यादा पसीना स्क्रीनिंग कमेटी को रायशुमारी के दौरान बहाना पड़ा है.
बहरहाल, सितम्बर के आखिरी सप्ताह में बस्तर की टिकटों की घोषणा होने की संभावना जताई जा रही है. ऐसे में अब इंतजार है कि नए फॉर्मूले से कांग्रेस को कितना फायदा होता है.